हर वो शख्स जो अपने आसपास के माहौल से निकल कर कुछ अलग करना चाहता है वही बदलाव लाता है. परिस्थितियों के आगे हार जाने वाले लोग कभी इस बदलाव में योगदान नहीं कर पाते और उनकी आने वाली पीढ़ियां भी उन्हीं विपरीत परिस्थितियों से जूझती रहती हैं. हिमाचल प्रदेश के गगनेश ने भी अगर कुछ अगल करने की ना ठानी होती तो आज वो भी शायद अपने पिता की तरह ही चौकीदारी कर रहे होते.
पिता चौकीदार, बेटा सेना में बना अफसर
ये कहानी है हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के गांव कोठी गैहरी रिवालसर के गगनेश कुमार की, भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं. गगनेश के पिता के लिए ये बेहद गर्व का मौका है क्योंकि वो खुद एक चौकीदार हैं लेकिन उन्होंने अपने बेटे को सेना में अफसर बना दिया. बता दें कि गगनेश के पिता बलदेव सिंह हिमाचल प्रदेश खेल और युवा सेवाएं विभाग में चौकीदार की नौकरी करते हैं.
गगनेश मंगलवार को 47 जवानों के साथ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनउ के आर्मी मेडिकल कोर प्रशिक्षण सेंटर में हुई पासिंग ऑउट परेड में शामिल हुए. खेल विभाग में कार्यरत पिता चौकीदार बलदेव सिंह और गृहिणी माता इंदिरा देवी के लिए ये पल गर्व करने योग्य था. माता-पिता की आंखों से उस समय खुशी के आंसू झलक आए जब उन्होंने परंपरा अनुसार अपने बेटे के कंधे पर बैज लगाकर उसका अभिनंदन किया.
दूसरा बेटा भी है सेना में
गगनेश के पिता बलदेव सिंह मंडी से इस समारोह के लिए विशेष तौर पहुंचे थे. न्यूज 18 से बात करते हुए उन्होंने बताया कि यह समारोह आर्मी मेडिकल कोर के लखनऊ स्थित प्रशिक्षण केंद्र में संपन्न हुआ. उनके अनुसार गगनेश पहले ही सेना में लिपिक के पद पर कार्यरत था और इसी बीच उसने सेना में कमीशन हासिल किया. बलदेव सिंह ने बताया कि उनका दूसरा बेटा भी सेना में लिपिक के पद पर कार्यरत है.
28 साल तक किया दिहाड़ी पर काम
राजकीय माध्यमिक पाठशाला पड्डल मंडी तथा आर्य समाज स्कूल मंडी से अपनी शिक्षा पूरी करने वाले गगनेश देश भर के अन्य 47 जवान के साथ पास ऑउट हुए हैं. सेना में जाने से पहले गगनेश जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अच्छे बैडमिंटन खिलाड़ी रहे हैं. जो पिता मंडी के पड्डल मैदान स्थित खेल एवं युवा सेवाएं विभाग में 28 साल तक दिहाड़ीदार के तौर पर काम करते रहे उनके लिए अपने बेटे को सेना में अफसर बनते देखना गर्व की बात हाई. तीन साल पहले ही विभाग ने बलदेव सिंह को नियमित करके चौकीदार बनाया है. उन्होंने कम आए और सीमित साधनों से ही अपने दोनों बच्चों को पढ़ाया-लिखाया और सेना में भर्ती करवाया.
अब जब उनका एक बेटा लेफ्टिनेंट बना तब उन्हें अपनी दिन रात की मेहनत का असली फल मिला. बेटे के लेफ्टिनेंट बनने से अब गांव कोठी गहरी में हर कोई खुश है. गगनेश ने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों की दिया है.