उपमंडल में प्रत्येक मुहल्ले व गली में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। बस स्टैंड से पुल तक भोजन की तलाश में इधर-उधर घूमते बंदरों के झुंड देखे जा सकते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी लोगों को तब होती है जब बंदर रास्ते में टोली बनाकर खड़े रहते हैं। इससे स्थानीय लोगों व राहगीरों को आने-जाने में परेशानी होती है।
बंदर मकानों की छत पर रखी पानी की टंकियों व पाइपों को तोड़ जाते हैं। टंकियों के ढक्कन को तोड़कर पानी में जमकर नहाते हैं। छतों पर सूखने के लिए रखे कपड़ों को फाड़ देते हैं या फिर इधर-उधर फेंक देते हैं। यदि गलती से किसी घर का दरवाजा खुला छूट जाए तो मकान के अंदर भी जमकर उत्पाद मचाते हैं और सारा सामान तोड़ देते हैं। बंदर सबसे ज्यादा छोटे बच्चों, महिलाओं व बुजुर्गों को अपना शिकार बना सकते हैं, जिससे बड़ी दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है।
अंकित ने बताया कि वे रेन बसेरा के पास स्थित पार्क में आते-जाते रहते हैं यहां बहुत ज्यादा संख्या में बंदर हैं। उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया है कि जल्द से जल्द उन्हें बंदरों से छुटकारा दिलाया जाए। इस पर हम वन विभाग को पत्र लिखेंगे। इसके ऊपर जल्दी ही कार्रवाई की जाएगी। इनको पकड कर बाहर जंगलों में छोड़ा जाएगा।