गिरिपार हाटी अभियान के केंद्र और प्रेरक अधिवक्ता जीत सिंह ठाकुर (कटवाडे) के आकस्मिक निधन से न केवल सिरमौर के ट्रांसगिरि क्षेत्र, बल्कि नाहन और पांवटा साहिब में भी शोक की लहर दौड़ गई है। सोमवार को उनका हृदय गति रुकने से निधन हो गया। उनकी मृत्यु से हाटी समिति ने एक योद्धा को भी खो दिया है। उन्होंने 30 से अधिक वर्षों तक समिति के महासचिव के रूप में कार्य किया।
उन्होंने ही प्रोफेसर सुंदर सिंह चौहान और दिवंगत अधिवक्ता नैन सिंह तोमर के साथ मिलकर हाटी मुद्दे की याचिकाओं का मसौदा तैयार किया। दिवंगत जीत सिंह ठाकुर ने ही अभियान के अधिकांश महत्वपूर्ण दस्तावेजों को एकत्र किया और सुरक्षित रखा। उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार के समक्ष कई प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व किया। उन्होंने अपना अधिकांश समय, सेवाएं और संसाधन जनता के लिए समर्पित किए।
नामी शिक्षाविद व समाज सेवी प्रोफेसर अमर सिंह चौहान ने कहा कि मैंने व्यक्तिगत रूप से देखा है कि कैसे उन्होंने हाटी अभियान को सार्थक बनाने की दिशा में अथक प्रयास किए। नाहन के विला राउंड क्षेत्र की सुंदरता बचाने की जंग भी लड़ी थी। प्रोफेसर चौहान ने कहा कि वाहनों के आवागमन को रोकने के लिए विला राउंड में दो गेट लगाने के लिए सीजेएम (CJM) नाहन की अदालत से आदेश पारित करवाए।
बता दे कि मौजूदा में मशहूर सैरगाह में आज भी वाहनों का प्रवेश निषेध है। वो एक दयालु, विनम्र, ईमानदार और मददगार मित्र भी थे। समाज के अलग-अलग वर्गों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की हैं, जो अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए अधिक जिए।
सिरमौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष शैलेंद्र कालरा ने दिवंगत आत्मा की शाश्वत शांति की कामना की है। साथ ही शोक संतप्त परिवार को अपूरणीय क्षति को सहन करने के लिए शक्ति और धैर्य प्रदान करने की प्रार्थना की है। कालरा ने कहा कि उन्होंने दिवंगत कटवाडे को हाटी अभियान में संघर्ष करते देखा है। बहरहाल, दिवंगत जीत सिंह उन योद्धाओं में से एक थे जिनकी वजह से हाटी संघर्ष आज इस मुकाम तक पहुंचा है।