खेत में तालाब खुदवाकर शुरू की मोती की खेती, खूब हो रही कमाई, 140 किस्म के धान भी उगा चुके हैं

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यूपी के फतेहपुर में हसनपुर अकोढ़िया नाम का एक गांव है. यहां रहने वाला एक किसान सीप के अंदर बीज रखकर मोती की खेती के लिए लिए अपने इलाके में मशहूर है. कुछ वक्त पहले कानपुर के कृषि विश्वविद्यालय की एक टीम ने हसनपुर अकोढ़िया पहुंचकर इस किसान की तारीफ करते हुए उसे हर संभव मदद देने का वादा किया था.

अपने खेत में छोटा सा तालाब खुदवाकर मोती की खेती करने वाले इस किसान का नाम रमेश सिंह है. रमेश के नाम फूलों की खेती के साथ 140 किस्म के धान की पैदावार करने का रिकॉर्ड भी दर्ज है. इंडिया टाइम्स हिन्दी से बात करते हुए रमेश ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले अपने खेत में एक छोटा सा तालाब खुदवाकर उसमे पानी भरवाया, और फिर सीपियों में मोती के बीज रखकर उन्हें पानी में लटका दिया.

cultivating-pearl-seed-pondPic Credit: Ramesh Singh

रमेश के मुताबिक जल्द ही उनकी मेहनत रंग लाई और उनको करीब 200 मोती मिले, जिन्हें देखकर उनका हौसला बढ़ा और उन्होंने आगे इसे जारी रखने का फैसला लिया. अब करीब 10 हजार सीपियों में बीज डालने के बाद रमेश को 40 से 50 लाख रुपए के मोतियों की पैदावार की उम्मीद है. बता दें, बाजार में आर्टिफिशल मोती की अच्छी-खासी मांग है.

सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर (CIFA) में बतौर एक्सपर्ट काम करने वाले सौरभ शैलेश बताते है कि मोती की मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मार्केट में काफी है. अच्छी बात यह है कि इसको देश के किसी भी हिस्से में किया जा सकता है. इसके लिए बस छोटे से तालाब और मीठे पानी की जरूरत पड़ती है. सौरभ के मुताबिक मोती की खेती थोड़ा वैज्ञानिक खेती है. इसलिए इसे शुरू करने से पहले ट्रेनिंग ज़रूरी है.

Pearl Farmingrepresentational picture

यह ट्रेनिंग CIFA की तरफ से समय-समय पर कराई जाती है, जोकि लोगों के लिए मददगार साबित हो रही है. खास बात यह कि मोती की खेती की ट्रेनिंग फ्री में दी जाती है. कोई भी उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्‍वर में मौजूद CIFA के मुख्यालय से 15 दिनों की ट्रेनिंग ले सकता है. मोती की खेती की अधिक जानकारी के लिए  CIFA की आधिकारिक बेबसाइट पर जाकर संबंधित लोगों से संपर्क किया जा सकता है.