कुश्ती महासंघ चुनाव: मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव भी थे उम्मीदवार, मिले सिर्फ़ 5 वोट- प्रेस रिव्यू
बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के क़रीबी संजय सिंह भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष निर्वाचित गए.
संजय सिंह की जीत के एलान के तुरंत बाद पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फ़ोगट और बजरंग पुनिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. साक्षी मलिक ने कहा कि वो कुश्ती छोड़ रही हैं. उन्होंने गुरुवार शाम मीडिया के सामने इसकी घोषणा की.
बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है. सिंह की गिरफ़्तारी की मांग करते हुए साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया समेत तमाम खिलाड़ियों ने कई हफ़्तों तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था.
इस पूरे विवाद से बिलकुल अलग अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस ने भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव प की है जिसमें कहा गया है कि कुश्ती महासंघ के चुनाव की रेस में मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव भी शामिल थे, लेकिन उन्हें सिर्फ़ पांच वोट मिले.
अख़बार लिखता है, भले ही मोहन यादव मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के चुन लिए गए हों, लेकिन भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का पदाधिकारी बनने के उनके अरमानों पर गुरुवार को पानी फिर गया.ये भी पढ़ें
पहलवान और मध्य प्रदेश कुश्ती संघ के प्रमुख रहे यादव डब्ल्यूएफआई का चुनाव हारने वालों में से एक थे. इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के संजय सिंह को नए अध्यक्ष के रूप में चुना गया.
मोहन यादव वोटिंग के दिन दिल्ली में मौजूद नहीं थे. उन्होंने महासंघ के उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवारी पेश की थी जिसमें उन्हें सिर्फ़ पांच वोट मिले.
उपाध्यक्ष पद के लिए दिल्ली के जय प्रकाश (37 वोट), पश्चिम बंगाल के असित कुमार साह (42 वोट), पंजाब के कार्टर सिंह (44वोट) और मणिपुर के ना फोनी (38 वोट) की जीत हुई है.
वो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख़बरें जो दिनभर सुर्खियां बनीं.
दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर
समाप्त
यादव ने अपना नामांकन इस साल जुलाई में भरा था, यानी मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले. फेडरेशन का चुनाव अगस्त में होने वाला था लेकिन चुनाव पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया था.
रिपोर्ट के अनुसार मोहन यादव की हार ही सिर्फ़ कुश्ती महासंघ के चुनावों की चर्चा का केंद्र नहीं है बल्कि अध्यक्ष पद के साथ-साथ वरिष्ठ उपाध्यक्ष पर भी जिसने चुनाव जीता है वो भी दिलचस्प है.
बृजभूषण के सहयोगियों ने कुश्ती महासंघ की अधिकतर सीटें जीती हैं लेकिन दो शीर्ष पदों के लिए हुए चुनाव को देखें तो अलग तस्वीर सामने आती है.
यूपी के बिनसमैन और बृजभूषण शरण सिंह के क़रीबी संजय सिंह कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड विजेता रहीं अनीता श्योराण को 40-7 से हराकर अध्यक्ष बने, लेकिन वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद के लिए पासा पलट गया.
देवेंदर सिंह कादियान ने आईडी नानावटी को 32-15 से हराकर वरिष्ठ उपाध्यक्ष का पद जीता. कादियान फूड जॉइंट्स की चेन चलाते हैं और प्रदर्शन करने वाली पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगट और बजरंग पुनिया के क़रीबी माने जाते हैं.
नानावटी जाने-माने एडमिनिट्रेटर हैं और बृजभूषण के क़रीबी माने जाते हैं.
इसी तरह महासचिव का पद जो महासंघ में सबसे महत्वपूर्ण भूमिकाओं में से एक माना जाता है उस पर रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड के सचिव प्रेम चंद लोचब की जीत हुई, लोचब ने चंडीगढ़ के उम्मीदवार दर्शन लाल को हराया.
लोचब श्योराण के ग्रुप के सदस्य माने जाते हैं, और श्योराण को विरोध करने वाले पहलवानों का समर्थन था. यानी ये पद भी बृजभूषण के क़रीबी को नहीं मिला.
लेकिन जब चुनावों के नतीज़ों का एलान हुआ तो बृजभूषण ने ये कहा कि “पूरा पैनल हमारा है, जिसने भी चुनाव जीता है वो हमारे वोटों से ही जीता है.”
संघ ने कहा- हम जातिगत जनगणना के ख़िलाफ़ नहीं
के मुताबिक़, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस ने गुरुवार को कहा कि हम जातिगत जनगणना के ख़िलाफ़ नहीं है. ऐसी किसी भी जनगणना का इस्तेमाल समाज के उत्थान के लिए किया जाना चाहिए.
अख़बार लिखता है, बीते दिनों संघ के कुछ नेताओं के जातिगत जनगणना के ख़िलाफ़ दिए गए बयानों के बाद ये बयान आया है और माना जा रहा है कि संघ की ओर से डैमेज-कट्रोल की कोशिश है.
बीते दिनों विदर्भ क्षेत्र के सह संघचालक श्रीधर गाडगे ने जाति जनगणना की आवश्यकता पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था इससे कुछ लोगों को राजनीतिक तौर पर फ़ायदा हो सकता है, लेकिन ये राष्ट्रीय एकता के लिए अच्छा नहीं है.
अख़बार के अनुसार उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि जाति आधारित जनगणना नहीं होनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने का कोई कारण नहीं है. जाति आधारित जनगणना करके हमें क्या हासिल होगा? ये गलत है.”
अब संघ का आधिकारिक रुख़ स्पष्ट करते हुए सोशल मीडिया पर आरएसएस के पब्लिसिटी प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि आरएसएस किसी भी तरह के भेदभाव और असमानता से मुक्त हिंदू समाज बनाने के लगातार काम करता रहा है.
उन्होंने ये भी कहा कि संघ का मानना है कि जाति आधारित जनगणना को समाज के समग्र विकास के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए. सभी पार्टियों को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे समाज की समरसता पर असर ना पड़े.
केजरीवाल ईडी के दूसरे समन पर भी नहीं हुए पेश
के अनुसार, दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दूसरे समन को ‘अवैध और राजनीति से प्रेरित’ बताया है और ईडी से समन वापस लेने को कहा है.
केजरीवाल ईडी के दूसरे समन पर भी नहीं ईडी कार्यालय में पेश नहीं हुए. दिल्ली की शराब नीति मामले में पूछताछ के लिए गुरुवार यानी 21 दिसंबर को उन्हें ईडी ने दोबारा पेश होने के लिए समन भाजा था. ईडी ने उन्हें 18 दिसंबर को ये समन भेजा था.
वह पंजाब के होशियारपुर के एक विपश्यना सेंटर पर 10 दिनों के लिए विपश्यना करने गए हैं.
मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार केजरीवाल ने कहा, “मैं हर कानूनी समन स्वीकार करने के लिए तैयार हूं. ईडी का यह समन भी पिछले समन की तरह अवैध है.”
“ईडी का समन राजनीति से प्रेरित है और इसे वापस लिया जाना चाहिए. मैंने अपना जीवन ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ जीया है और मेरे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है.