केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) शिमला ने शोध के बाद निमेटोड (कृमि सूत्र) का तोड़ निकाल लिया है. अब हिमाचल प्रदेश समेत पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में हिमालिनी, गिरधारी, ज्योति और करन जैसी किस्मों के आलू बीज का संकट नहीं होगा. केंद्र सरकार ने भी छ साल बाद आलू के बीज को मंजूरी दे दी है. केंद्र सरकार ने निमोटेड के चलते सीपीआरआई के कुफरी और फागू आलू बीज फार्म में 2018 से पैदावार पर रोक लगाई हुई थी. 2018 से पहले संस्थान 700 से 800 क्विंटल बीज किसानों को उपलब्ध करवाता था.
संस्थान के निदेशक ने बताया कि अब कृषि मंत्रालय ने सीपीआरआई को आलू बीज तैयार करने की स्वीकृति दे दी है. आईसीएआर-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला, राष्ट्रीय स्तर पर एक मात्र संस्थान हैं. संस्थान के कुफरी-फागू फार्म पर उत्पादित ब्रीडर बीज पर्वतीय राज्यों को मुहैया करवाए जाते हैं. इस बीज को आगे चल कर सभी राज्यों को सप्लाई किया जाता हैं. इसके अलावा आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) शिमला ने पहली बार आलू बीज (ट्रू पोटेटो सीड) तैयार किया है. संस्थान ने नई तकनीक मिट्टी के बिना ही हवा में आलू का बीज भी तैयार किया. जिसका लाभ किसानों को मिल रहा है.