उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले की आशा देवी ने ये बात साबित कर दी कि जब एक दिहाड़ी मजदूरी करने वाली महिला कुशल एंटरप्रेन्योर बन सकती है तो ऐसा कुछ भी नहीं जो इंसान के लिए संभव न हो.
एक दिहाड़ी मजदूर बनी Entreprenuer
अलीगढ़ के टप्पल ब्लॉक के खंडेहा गांव की निवासी आशा देवी कुछ समय पहले तक अपने पति के साथ मजदूरी कर अपना घर जैसे तैसे चला रही थीं. इसके बाद साल 2015 में आशा देवी ने अपनी कमाई से थोड़े बहुत पैसे बचाना शुरू किया. उन्हें एक व्यापार का आईडिया आया. आशा देवी ने वॉटर प्यूरीफाई आरओ प्लांट की शुरुआत करने की सोची. इसके लिए उन्होंने 52 हजार रुपए का लोन लिया और अपने जमा किये हुए 1.5 लाख रुपए लगा दिए.
अब जी रही हैं अच्छा जीवन
उन्होंने सबसे पहले सीआरपी-ईपी की मदद से बीआरसी कार्यालय, ब्लॉक ऑफिस और जट्टारी के लोगों के साथ साथ टप्पल के दुकानदारों तक पानी पहुंचाना शुरू किया. धीरे धीरे अब आशा देवी के परिवार ने भी उनकी मदद करनी शुरू कर दी. इसका परिणाम ये निकला कि आशा देवी और उनका परिवार अब इस बिजनेस से रोजाना अच्छी भली कमाई कर रहा है. इसी बिजनेस के दम पर आशा देवी अपने परिवार संग एक अच्छा जीवन जी रही हैं.
इसके साथ ही आशा देवी आगे बढ़ने के रास्ते भी खोज रही हैं. वह अपने व्यापार को और बढ़ाना चाहती हैं. इसके लिए उन्होंने सोचा है कि वह भविष्य में आस-पास के शहरों और स्थानीय बाजार तक पैकेज्ड वॉटर बॉटल से पानी की आपूर्ति करेंगी.
इस तरह मिली मदद
आशा देवी के लिए ये सब संभव हो पाया है स्टार्ट-अप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम द्वारा. आशा देवी को कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन एंटरप्राइज प्रमोशन ने एसवीईपी से परिचित कराया था. कम्युनिटी ने ही आशा देवी का मार्गदर्शन भी किया. मिशन निदेशक भानु गोस्वामी का कहना है कि, अभी ये कार्यक्रम राज्य के 18 जिलों और 19 विकास खंडों में लागू है. इसके द्वारा अब तक राज्य की 15,804 महिला उद्यमी लाभान्वित हो चुकी हैं.
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