आपदा में भी ‘शिमला पुलिस’ की नशे के खिलाफ स्ट्राइक जारी, 15 दिन में पटवारी सहित 31 काबू…

हिमाचल प्रदेश में मानसून शुरू होते ही पुलिस के कंधों पर ट्रैफिक कंट्रोल के साथ-साथ रेस्क्यू ऑपरेशन की जिम्मेदारी भी है। शायद, नशा तस्कर  ये सोच बैठे होंगे कि आपदा में तो पुलिस रेस्क्यू में व्यस्त होगी। लेकिन धरातल पर ऐसा नहीं है। हर छोर पर पुलिस मुस्तैद है। राज्य में बारिश से बिगडे़ हालात के बावजूद भी ‘शिमला पुलिस’ (Shimla Police) ने नशाखोरी के खिलाफ स्ट्राइक को जारी रखा।

15 दिन की बात की जाए तो औसतन रोजाना दो नशा सौदागरों (Drug Peddlers) को सलाखों के पीछे पहुंचाया गया। इसमें रोहडू के चिड़गांव के 37 वर्षीय पटवारी विजय कुमार पुत्र बंसी लाल निवासी जंगला को भी काबू किया गया। जांच में ये भी सामने आया कि पटवारी नशीले पदार्थों की तस्करी में पहले भी संलिप्त रह चुका है। 6 मई को पटवारी के कब्जे से 4.03 ग्राम चिट्टा बरामद हुआ था। 5 जुलाई को भी एनडीपीएस (NDPS) का मामला दर्ज किया गया।

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1 से 15 जुलाई के बीच शिमला पुलिस ने अलग-अलग थानों में एनडीपीएस के 20 मुकद्मे दर्ज किए। इसमें 31 तस्करों को सलाखों के पीछे पहुंचाया गया। बड़ी बात ये है कि 31 में से 10 पेडलर्स ऐसे हैं, जो उत्तर भारत के राज्यों में नशे की खेप पहुंचाते थे। इसमें 7 पंजाब के तस्कर हैं, जबकि तीन का संबंध हरियाणा व दिल्ली से है। आंकड़ों के मुताबिक 6 महीनों में शिमला जिला पुलिस ने 450 पेडलर्स को गिरफ्तार किया है।

अहम बात ये भी है कि पुलिस नशा तस्करों को सलाखों के पीछे तो पहुंचा ही रही है, साथ ही काले कारोबार से अर्जित की गई चल व अचल संपत्तियों को भी जब्त कर रही है। पुलिस ने ठियोग के दिनेश वर्मा के दो वाहनों को जब्त किया है। इसकी कीमत 7,43,720 रुपए आंकी गई है। पुलिस की स्ट्राइक में सबसे बड़ी बात ये है कि ‘शिमला जिला’ में नशे के ओवरडोज से मरने वालों की संख्या में कटौती हुई है।

इस बात से भी संकेत मिलते हैं कि शिमला जिला में हेरोइन (heroin) की तस्करी पर अंकुश लगा है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी ने माना कि बारिश के कारण आपदा में पुलिस जिम्मेदारी निभा रही है। इसके बावजूद नशे के खिलाफ स्ट्राइक को जारी रखा गया।