मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में व्यवस्था परिवर्तन के नारे को दोहराते हुए कहा कि सरकार ने लंबित पड़े इंतकाल के मामलों को निपटाने के लिए बीते महीने इंतकाल अदालतें लगाई, जिसमें कई मामलों का निपटारा किया गया। आगामी इंतकाल अदालत में मामलों को शून्य करने का सरकार का लक्ष्य रखा गया है। इंतकाल के मामलों के अलावा पार्टीशन और डिमार्केशन के मामलों को भी सरकार 6 से 8 महीने से निपटाने के लिए कार्य कर रही है जो कि आजादी के बाद हिमाचल सरकार की सबसे बड़ी पहल साबित होगी।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इंतकाल, पार्टिशन जैसे मामलों के निपटारे में लोगों की कई पीढ़ियां खत्म हो जाती है, लेकिन निपटारा नहीं हो पाता। हिमाचल सरकार ने राजस्व विभाग के अधिकारियों को इन मामलों के शीघ्र निपटारे के आदेश दिए हैं, जबकि भाजपा सरकार ने पांच साल में जनमंच के नाम पर अधिकारियों को बेइज्जत करने और पैसे की बर्बादी करने का ही काम किया। लेकिन वर्तमान सरकार व्यवस्था परिवर्तन करने में विश्वास रखती है और लोगों की समस्या का निपटारा किया जा रहा है।
वहीं, मुख्यमंत्री ने आपदा के कारण ब्यास बेसिन में बंद किए गए स्टोन क्रेशर में बड़े घोटाले की बात कही है। भाजपा पर पांच साल आंख मूंद कर काम करने के आरोप लगाए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा समय में ब्यास बेसिन पर करीब 131 स्टोन क्रेशर बंद पड़े हैं, जिनकी वैधता जानने के लिए गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है।
वही, 50 क्रशरों को शर्तों के साथ संचालित करने की सिफारिश की है, जिनको लेकर सरकार सिंगल विंडो मीटिंग के माध्यम से शीघ्र निर्णय लेने वाली हैं। लेकिन 63 क्रशर ऐसे हैं, जिनके पास वैध लीज तक नहीं है। क्रेशर चलाने के लिए जनरेटर सेट का प्रयोग किया जा रहा है और सरकार को रॉयल्टी नहीं मिल रही है।
पिछली सरकार ने नियमों के खिलाफ़ काम किया और इसमें बड़ा घोटाला सामने आएगा। सरकार सभी पहलुओं को देख रही है। पूरे हिमाचल में स्टोन क्रेशर की वैधता को लेकर जांच के उद्योग विभाग को निर्देश दिए गए हैं। जो क्रेशर औपचारिकताएं पूरी करेंगे उनको ही बहाल किया जायेगा। बाकियों पर उद्योग विभाग जांच करेगा और उसके बाद ही सरकार आगामी निर्णय लेगी।