हिमाचल के ग्रामीण क्षेत्रों में फसलों के भंडारण को लेकर सरकार दे रही किसानों को अनुदान

कृषि विज्ञान केंद्र मंडी में भंडारण विकास एवं विनियामक विषय पर जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका आयोजन चौधरी चरण सिंह राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान जयपुर के सहयोग से हुआ। कार्यक्रम में 80 किसानों, व्यापारियों तथा कृषि अधिकारियों ने भाग लिया।

जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र मंडी के प्रभारी एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पंकज सूद ने कृषि उत्पादों के भंडारण के महत्व पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि देश में कृषि उत्पादों खासतौर पर फलों व सब्जियों की कटाई से लेकर उपभोक्ताओं तक पहुंचने में 5 से 13 प्रतिशत तक नुकसान हो जाता है। अन्य फसलों में यह आंकड़ा 3 से 7 प्रतिशत तक है।

उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा पैसों के लिहाज से लगभग 1.52 करोड़ रूपए है। इसकी वजह से देश को आर्थिक तौर पर नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि उत्पादों के नुकसान को कम करने के लिए कई प्रकार की योजनांए आरंभ की हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उत्पादों के भंडारण क्षमता विकसित करने की भी योजना है।

इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के साथ डा. प्राची, डॉ. शमशेर सिंह, विषयवाद विशेषज्ञ, कृषि विभाग, डा. राजेश विषयवाद विशेषज्ञ, उद्यान विभाग, सीता राम वर्मा, अध्यक्ष, हिमाचल किसान युनियन व उनकी टीम, कृषक उत्पादक संगठनों के पदाधिकारी, ट्रेडर सौरभ सैनी तथा प्रगतिशील किसान परमा राम चौधरी, स्नेहा शर्मा भी उपस्थित रहे। किसानों और अधिकारियों को नलसर में एफसीआई द्वारा संचालित किए जा रहे गोदाम का भी दौरा करवाया गया।