सोलन में मुसलिम के हाथों से बने रावण के पुतले का दहन करते हैं भगवान श्रीराम

राम ही रहीम है और रहीम ही राम है। दोनों नामों में फर्क करेंगे तो नफरत बढ़ेगी और दोनों नामों को एक समझेंगे तो अमन और शांति होगी। धर्म के नाम पर किसी भी मजहब के लोग अगर नफरत फैलाने का कार्य करते हैं तो वह गलत है। भारत में रहने वाला किसी भी धर्म का क्यों न हो वह पहले हिंदुस्तानी है। सरहद पर हिंदू ही नहीं मुसलमान सैनिक भी देश की रक्षा करने में पीछे नहीं हैं। सोलन में मुस्लिम समुदाय के कारीगर हिंदुओं के प्रमुख दशहरा त्योहार में धू धू कर जलने वाले बुराई के प्रतीक रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों को अपने हाथ से रूप दे कर कुछ इस तरह का एकता और भाईचारे का संदेश दे रहे हैं।

सोलन में बुराई के प्रतीकों का पुतला बनाने वाले यूपी सहारनपुर के मुख्य कारीगर मोहम्मद शाह नवाज भी यही सोच रखते हैं। जोकि ठोडो मैदान में कारीगर शरीक  पुतले बना रहे हैं। इनके मुताबिक भारत और पाकिस्तान को समझना चाहिए और प्रेम भाव से रहना चाहिए और दोनों मुल्कों को कौम और खुद के विकास के लिए दोस्ती का रास्ता अपनाना चाहिए।

कारीगर शरीफ का कहना है की दशहरे से 1 माह पूर्व ही कारीगर पुतले बनाने के लिए सोलन आ जाते हैं। फिर एक-एक कर रावन, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों को बनाया जाता है। फिर ठीक दशहरे वाले दिन इन पुतलों को जोड़ने का कार्य किया जाता था। इसमें काफी परेशानी होती थी। लेकिन अब ऐसा नही है। तीनों पुतलों के ढांचे को वह सहारनपुर से ही तैयार करके लाते हैं।