सैलरी-पेंशन न मिलने पर लगे नारे, बिजली बोर्ड प्रबंधन के खिलाफ कर्मचारियों ने छेड़ा आंदोलन
विशेष संवाददाता-शिमला
बिजली बोर्ड संयुक्त मोर्चा ने प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत नारेबाजी के साथ की। बिजली बोर्ड कर्मचारी स्थायी निदेशक की मांग कर रहे हैं। कर्मचारियों ने बोर्ड की खराब वित्तीय स्थिति के लिए प्रबंधन के फैसलों को जिम्मेदार बताया है। इसके परिणामस्वरूप बोर्ड कर्मचारियों और पेंशनर्ज का वेतन और पेंशन पहली जनवरी को नहीं मिल पाई। इंजीनियर के ज्वाइंट फ्रंट के नेतृत्व ने कहा कि बिजली बोर्ड से 50 हजार परिवार जुड़े हैं और वर्तमान की कार्यप्रणाली का खमियाजा इनके परिवार को भुगतना पड़ रहा है। इस संबंध में संयुक्त मोर्चा ने बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन और इंजीनियर के ज्वाइंट फ्रंट ने मंगलवार को गेट मीटिंग की और प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान उन्होंने बिजली बोर्ड की खराब वित्तीय स्थिति के लिए प्रबंधक वर्ग को दोषी ठहराया।
बिजली बोर्ड में तुरंत एक स्थायी प्रबंध निदेशक लगाने की मांग की है। इस अवसर पर फ्रंट के संयोजक ई. लोकेश ठाकुर और सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने कहा कि बोर्ड पिछले नौ माह से अस्थायी प्रबंध निदेशक से चलाया जा रहा है। इससे बोर्ड के कार्यप्रणाली बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। उन्होंने बताया कि अपै्रल माह से हरिकेश मीणा को बोर्ड के प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है जबकि उनके पास पहले ही दो विभागों का भार है।
छह को राज्यव्यापी आंदोलन करने की चेतावनी
प्रदेश सरकार से बोर्ड को निर्माण के लिए चंबा जिला में दी गई चार छोटी पनविद्युत परियोजनाओं के निर्माण कार्य को शीघ्र शुरू करने की मांग की है। इस ज्वाइंट फ्रंट की बैठक में बिजली बोर्ड के आठ कर्मचारी और अभियंता के संगठनों ने भाग लिया और कहा यदि प्रदेश सरकार मांगों का निवारण समय रहते नहीं करेगी तो फ्रंट राज्यव्यापी आंदोलन का आगाज छह जनवरी को जिला ऊना से करेगा। पेंशनर्ज फोरम और अन्य पेंशन संगठन का भी शामिल रहेंगे।