वैसे तो श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र के सैनधार में पानी कल-कल बहता है। यहां की जमीन सोना उगलती है। लेकिन, नहरस्वार पंचायत में एक गांव ऐसा भी था….जहां की सिंचाई कूहल 22 साल से बंद पड़ी हुई थी। वजह, वही परंपरागत….जमीन का आपसी विवाद।
इसी बीच एक मिसाल कायम हुई। 17 दिसंबर को चलाना से पटिया गांव की सिंचाई कूहल को बहाल कर लिया गया है। यकीन मानिए, जहां गांवों में अकसर ही कूहल के विवाद को लेकर खूनी संघर्ष होते हुए भी देखे जाते हैं, वहीं नहरस्वार पंचायत में ग्रामीणों ने भाईचारे व सौहार्द के बूते विवाद को सुलझाकर एक खास इबारत लिख डाली है।
जैसे ही पटिया गांव के खेतों में कूहल का पानी पहुंचा तो ग्रामीणों के चेहरे खिल उठे। सिंचाई परियोजना की कुल दूरी तकरीबन 3 किलोमीटर की है। करीब 22 साल पहले मामूली से भूखंड पर विवाद के कारण कूहल बंद हो गई थी। बाकायदा, हवन व पूजा-पाठ के बाद दीपक के विसर्जन के बाद कूहल का पानी कल-कल बहता हुआ पटिया गांव पहुंचा।
इस दौरान पटिया गांव के लोग बार-बार चलाना वासियों का आभार प्रकट कर रहे थे तो दूसरी तरफ हर कोई पानी को छूकर शीश हासिल करना चाहता था।
इस बात को शब्दों में पिरोना बेहद कठिन है कि ऐसे ऐतिहासिक पलों के दौरान मौके का माहौल व भक्तिमय वातावरण कैसा था। कूहल के बहाल होने पर इलाके के बुद्धिजीवी स्वर्गीय राजेंद्र सिंह मोहिल व स्वर्गीय राम रतन शर्मा का भी सपना साकार हुआ है।
ग्रामीणों ने कहा कि वो अगली पीढ़ी को विवाद या फिर मनमुटाव विरासत में नहीं देना चाहते। बल्कि, एक सभ्य समाज की मिसाल छोड़ना चाहते हैं। ग्रामीणों ने कहा कि कूहल चालू होने से पटिया गांव के करीब 40 परिवारों को लाभ मिलेगा। कूहल के निर्माण में सरकारी इम्दाद भी हासिल हुई है। 18 लाख रुपए का बजट स्वीकृत हुआ था, लेकिन 14 लाख में ही कार्य को मुकम्मल कर लिया गया।