सरकार भांग की लीगल खेती को लेकर लेगी लोगों की राय, बनाएगी कारगर नीति

 हिमाचल सरकार भांग की वैध और वैज्ञानिक खेती पर प्रदेशवासियों की राय लेकर समाज और राज्य के व्यापक हित में बहुत जल्द कारगर नीति लाएगी। हिमाचल में भांग की वैध और वैज्ञानिक खेती पर अध्ययन को गठित विशेष समिति के अध्यक्ष एवं राजस्व, बागवानी व जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी ने यह उद्गार सोमवार को धर्मशाला में विभिन्न हितधारकों और जनप्रतिनिधियों से चर्चा के लिए आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि हिमाचल का वातावरण औषधीय गुणों से परिपूर्ण भांग के उत्पादन के लिए सहायक है। यहां उगने वाली भांग औषधीय और औद्योगिक दोनों प्रकार के काम में लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि समिति नीति निर्माण से पहले इस विषय पर खुली चर्चा से जनता की शंकाएं दूर करने और उनके सुझाव लेने के लिए प्रदेशभर में इस प्रकार के कार्यक्रम कर रही है। प्रदेश के लोगों से वार्तालाप कर नीति निर्धारण के लिए उनकी राय लेने का यह प्रदेश में पहला उदाहरण है।
इसी क्रम में समिति ने सोमवार को धर्मशाला में विभिन्न हितधारकों और जनप्रतिनिधियों से विचार-विमर्श कर, इस विषय पर उनकी राय मांगी। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के नेतृत्व में गठित इस समिति ने डिग्री कॉलेज धर्मशाला के त्रिगर्त सभागार में इस विषय पर खुली चर्चा की।

जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पुरानी रिवायतों को छोड़, राज्य के आर्थिक विकास के लिए नए विचारों पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों की आर्थिकी सुदृढ़ करने के साथ युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने के नए रास्ते अपना रही है। उन्होंने कहा कि भांग की वैज्ञानिक खेती से बनने वाले अनेकों उत्पादों का उपयोग आज हमारे देश सहित कई देशों में हो रहा है। आज विश्व के कई बड़े देश भांग की वैज्ञानिक खेती से धर्नाजन कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि शोध के आधार पर भांग के ऐसे बीज तैयार किए जाएंगे, जिसके पौधों में नशा नहीं होगा और औद्योगिक उपयोग के लिए उसकी खेती किसानों द्वारा की जाएगी। उन्होंने कहा कि कपड़े सहित अनेक प्रकार के उद्योगों में इसका उपयोग हो सकता है। वहीं, औषधीय गुणों से परिपूर्ण भांग की खेती करने के लिए लाइसेंस दिए जाएंगे। नियंत्रित वातावरण में प्रशासकीय निगरानी में इसकी खेती की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के जंगलों में भी बिना नशे वाले भांग के बीज डाले जाएंगे, जिनका उपयोग औद्योगिक उत्पादों के निर्माण के लिए किया जाएगा

उन्होंने कहा कि प्रदेश में मलाणा सहित कई क्षेत्रों में उगने वाली भांग सर्वोत्तम औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इनके उपयोग से बनने वाली औषधि की जीआई टैगिंग करवाने के लिए सरकार प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि यहां उगने वाली अच्छी क्वालिटी की भांग के बीजों को शोध के आधार पर प्रदेश अन्य हिस्सों में भी उगाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इससे बनने वाले औद्योगिक और औषधीय उत्पादों से प्रदेश की आर्थिकी सुदृढ़ होने के साथ, नशे के तौर पर इसके उपयोग पर चैक रखा जाएगा।

भांग के 5 प्रतिशत दुष्प्रभावों की वजह से 95 प्रतिशत गुणों को नहीं कर सकते इग्नोर 
समिति के सदस्य और मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि भांग की वैज्ञानिक खेती प्रदेश की आर्थिकी के साथ गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए वरदान साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि इसके दुष्प्रभावों की वजह से हमने कभी इसके गुणों पर बात ही नहीं की। उन्होंने कहा कि भांग के 5 प्रतिशत दुष्प्रभावों की वजह से इसके 95 प्रतिशत गुणों को इग्नोर नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि भांग के पौधे के विभिन्न हिस्सों से विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार हो सकते हैं।

उन्होंने कहा कि हमारा समाज पुराने समय से इसका औषधीय उपयोग किसी न किसी रूप में कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसके औषधीय गुणों के चलते अमेरिका सहित विश्व के बड़े देश इसके उपयोग से दवाइयां बना रहे हैं, और हमारे देश में बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश में इसकी अपार संभावना होते हुए भी हम इसका सही तरह से दोहन नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का मत है कि भांग की वैज्ञानिक खेती पर समाज में खुलकर चर्चा हो, और इसके वैज्ञानिक ढंग से उपयोग के रास्ते आगे खुलें।

उन्होंने कहा कि कैंसर जैसी कई घातक बीमारियों के दर्द से लड़ने की ताकत औषधि के रूप में इसमें हैं। उन्होंने कहा कि इसमें औषधीय गुण इतने अधिक हैं कि इसकी वैज्ञानिक खेती के आधार पर हम शोध करके कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने के लिए दवाइयों का उत्पादन कर सकते है। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्रियल उपयोग करते हुए इसके रेशे से बने हुए कपड़े हमारे गांव-देहात के लोगों को स्वरोजगार के अपास अवसर उपलब्ध करवा सकते हैं।

उन्होंने सभी हितधारकों को आश्वस्त किया कि इसकी वैध और वैज्ञानिक विधि से खेती को लेकर घबराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि इसकी खेती एक नियंत्रित वातावरण में सरकार की मंजूरी और निगरानी में ही हो सकेगी। इसमें भी औद्योगिक उद्देश्य के लिए उपयोग होने वाले भांग के पौधे में नशा नहीं होगा, ऐसा बीज तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि औद्योगिक और औषधीय उद्देश्य से की जाने वाली खेती से अच्छी आमदनी होने से लोग इसके गलत उपयोग करने की ओर भी ध्यान नहीं देंगे।

विशेषज्ञों ने वैज्ञानिक पद्धति व शोध पर दिया बल, जनप्रतिनिधियों ने दिए सुझाव
इस दौरान समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य एवं हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के अधिवक्ता देवेन खन्ना ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से भांग की खेती, उसके उपयोग, विश्व में हो रहे उत्पादन और प्रदेश में उसकी संभावनाओं पर प्रकाश डाला। वैज्ञानिक ढंग से भांग की खेती करने के विषय पर कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर से कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजन कटोच, आईएचबीटी पालमपुर से वैज्ञानिक डॉ. सनत सुजात सिंह ने अपने विचार कमेटी सदस्यों से समक्ष रखते हुए इस दिशा में संभावित शोध पर प्रकाश डाला। वहीं, सीसीएफ फॉरेस्ट देवराज कौशल ने इस संदर्भ में वन विभाग की भूमिका पर अपनी बात रखी।

इस दौरान लोगों ने सरकार के जन संवाद कार्यक्रम की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि भांग की खेती को लेकर अपनी सीमित जानकारी के कारण उनके मन में अनेक शंकाएं थीं, लेकिन इस कार्यक्रम के जरिए खुली चर्चा और इससे मिली जानकारी से उन्हें इस खेती की व्यापक उपयोगिता और फायदे समझ में आए, साथ ही उनकी शंकाओं का समाधान हुआ।
उपायुक्त कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने कार्यक्रम का समापन करते हुए आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस दौरान एसपी नूरपुर अशोक रतन सहित जिले के सभी एसडीएम, पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि और युवा उद्यमी उपस्थित रहे।