उमंग फाउंडेशन ने सरकार से मांग की है कि प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों को समयबद्ध ढंग से दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए बाधा रहित बनाया जाए। इस बारे में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी कई मामलों में सरकार को निर्देश दे चुके हैं। लेकिन अभी तक इसका पालन नहीं हुआ है। कुछ शिक्षण संस्थान हाई कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन कर दिव्यांग विद्यार्थियों से फीस भी वसूलते हैं।
शिक्षा सचिव राकेश कंवर को भेजे एक पत्र में उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि विकलांग जन अधिकार कानून 2016 के अनुसार सभी शिक्षण संस्थानों को बाधा रहित बनाना अनिवार्य है। इसके अंतर्गत स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सभी कक्षाएं, कार्यालय, ऑडिटोरियम, पुस्तकालय, शौचालय, कैंटीन, कॉमन एरिया, हॉस्टल, वॉशरूम को बाधा रहित बनाया जाना चाहिए। दिव्यांग व्यक्तियों को आने-जाने में कोई दिक्कत न हो इसलिए लिफ्ट और रैम्प बनाए जाएं।
उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों में स्मार्ट क्लासरूम बनाकर बधिर विद्यार्थियों को स्पीच-टू- टेक्स्ट सुविधा दी जाए, जिससे उनका पढ़ना आसान हो जाएगा। लाइब्रेरी को दृष्टिबाधित एवं अन्य विद्यार्थियों हेतु बाधारहित बनाने के लिए टॉकिंग सॉफ्टवेयर वाले कंप्यूटर, अन्य सॉफ्टवेयर और स्कैनर आदि लगाए जाएं। दिव्यांग विद्यार्थियों की सहायता के लिए किसी वरिष्ठ शिक्षक को नोडल ऑफिसर नियुक्त किया जाए।
लाइब्रेरी के साथ ही रिसोर्स रूम भी होना चाहिए। इसमें पढ़ाई के लिए आवश्यक सहायक उपकरण और ब्रेल पेपर आदि होने चाहिए। शिक्षण संस्थानों के वेब पोर्टल को भी दृष्टिबाधित, श्रवण बाधित एवं अन्य दिव्यांग लोगों के लिए बाधा रहित बनाया जाए। दृष्टिबाधित एवं हाथ से लिखने में असमर्थ विद्यार्थियों को परीक्षा में लिखने के लिए शिक्षण संस्थान राइटर का पैनल बनाएं। उन्हें हर एक घंटे के प्रश्नपत्र पर 20 मिनट का अतिरिक्त समय भी दिया जाए।
प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि हॉस्टल से कैंपस और वापसी के लिए मुफ्त वन की व्यवस्था भी की जाए। कैम्पस में लगे एटीएम में दृष्टिबाधित विद्यार्थियों की सुविधा के लिए टॉकिंग सॉफ्टवेयर और हेडफोन की व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों का पालन हर हाल में किया जाना चाहिए।