सड़क हादसे में खोये पिता, रियल लाइफ की कविता सुन आपकी आंखे भी होंगी नम

 पिता रोटी है कपड़ा है मकान है, नन्हें से परिंदे का बड़ा आसमां है। पिता है तो घर में प्रतिपल राग है,मां की चूड़ी-बिंदी और सुहाग है। पिता है तो बच्चों के सारे सपने हैं, बाजार के सारे खिलौने अपने हैं।

जन्म से ही बेटियां अपने पिता के करीब होती हैं। पिता के कंधों पर चढ़कर चलना शुरू करती हैं। 16 साल की उम्र में बेटी को अचानक ही एक सड़क हादसे  (Accidents) में पिता को खोना पड़े तो सोचिए, बच्ची के दिल पर क्या गुजरेगी। हिमाचल प्रदेश के शिमला जनपद के चौपाल उपमंडल के टिक्कर गांव की 16 वर्षीय बेटी ने पिता के खोने के गम को शब्दों में पिरो दिया। हिमाचल के पहाड़ी इलाके की बेटी का एक-एक शब्द रुला देने वाला है। जीवन की सच्चाई पर आधारित घटनाओं पर आधारित न केवल कविता लिखी, बल्कि गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर चौपाल (Choupal) में आयोजित उपमंडल स्तरीय कार्यक्रम में नम आंखों से कविता (Poem) को पढ़ा। यकीन मानिए, इस दौरान हर आंख भर आई थी। जमा एक के आर्ट्स संकाय में पढ़ाई कर रही बेटी हारिका बरिष्टा का दिल पसीज देने वाला वीडियो सोशल मीडिया में वायरल (viral) हो रहा है।

एमबीएम न्यूज नेटवर्क (MBM) ने मासूम 16 साल की हारिका बरिष्टा (Harika) से संपर्क किया। इस दौरान खुलासा हुआ कि पिता के निधन के बाद हालांकि अंतिम संस्कार की रिवायत को नहीं निभाया था, लेकिन क्रिया व पिंडदान की रिवायतों को हारिका ने ही निभाया था। दसवीं कक्षा में 90% अंक हासिल करने वाली बेटी ने कला संकाय को इस कारण चुना है, ताकि वह संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा की तैयारी कर सके।

एक सवाल के जवाब में कहना था कि उत्तराखंड (Uttarakhand) के मिनस में हुए सड़क दुर्घटना में पिता की मृत्यु हो गई थी। सदमे से उबरने में समय लग रहा है। दिवंगत पिता लेखन के प्रति प्रोत्साहित करते थे। कविता का एक-एक शब्द पिता को समर्पित है। कविता के जरिए वो बातें लिखने की कोशिश की है जो उनके असल जीवन से व्यतीत हुई है।

हारिका बरिष्टा के पिता दिवंगत श्याम लाल सरकारी स्कूल में अस्थाई आईटी टीचर थे, जबकि माता भी आईटी शिक्षक (IT Teacher) है। तीन बहनों में सबसे बड़ी है। छोटी बहन की उम्र 14 साल है, जबकि सबसे छोटी बहन की उम्र करीब ढाई साल है। बुलंद हौसलों से जीवन में अपने पिता के सपनों को साकार करना चाहती है। उनका कहना था कि अचानक पिता को खो देने से कदम डगमगाए तो जरूर, लेकिन हौसला नहीं टूटा है।

उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में चौपाल के एसडीएम (SDM) नारायण सिंह चौहान ने कहा कि बच्ची की प्रस्तुति के दौरान हर कोई भावुक था। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वो भावुकता की वजह से कविता को पूरा नहीं पढ़ पाएगी, लेकिन बच्चों का हौसला प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि ऐसी बेटियों के हाथ में देश का भविष्य सुरक्षित रहेगा। एमबीएम न्यूज नेटवर्क होनहार बेटी हारिका के उज्जवल भविष्य की कामना करता है।