राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. संघ ने आज सचिवालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया. संघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि वह आज से सचिवालय के बाहर धरने पर बैठ रहे हैं और मांगें न माने जाने पर धरना आमरण अनशन में बदल जाएगा. राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ के रोहड़ू से सदस्य लक्की ने कहा कि सरकार ने बैकलॉग से भर्तियों का फैसला लिया है, लेकिन अभी 2 महीने होने को आए हैं अभी तक भर्तियां नहीं शुरू की गई हैं. उन्होंने कहा है कि दृष्टिहीन संघ ने दिवाली भी ब्लैक डे के रूप में मनाया. विकलांग दिवस भी ब्लैक दिवस मनाया, लेकिन 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन उन्हें उम्मीद थी कि सरकार उनके लिए कुछ करेगी, लेकिन सरकार ने अभी तक कुछ नहीं किया है और उनकी मांगें जस की तस पड़ी हुई हैं. लकी ने कहा कि वह सड़क से नहीं उठेंगे जब तक की मुख्यमंत्री खुद ना कर आ कर उनकी मांग मान नहीं लेते हैं.
वहीं, रामपुर से आई सुलेखा ने कहा कि 97 दिन से वह सब अपनी हड़ताल कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनके मांगों को लेकर गंभीर नहीं है. उनका कहना था कि सरकार ने बैकलॉग कोटा निकालने को कहा था, लेकिन अभी तक उन्हें रोजगार नहीं दिया गया है. जिसके कारण उन्हें मजबूरन सड़कों पर उतरना पड़ा है. धरना प्रदर्शन पर मंडी से आए सेवंथ कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री ने चार तारीख को बैठक के लिए बुलाया था, लेकिन मुख्यमंत्री नहीं आए. उनकी मांगें अभी तक लंबित पड़ी हैं. उनका कहना था कि वह बेरोजगार होकर दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी नहीं सुन रही है. उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को मुख्यमंत्री रिज पर तो आए, लेकिन दृष्टिहीन संघ इतने लंबे समय से साथ में ही धरने पर बैठा है हमें मिलने नहीं आए. इसका उन्हें काफी रोष है. सरकार को सभी को रोजगार देना चाहिए. जिनकी आयु 35 वर्ष हो गई है व गरीब असहाय की आयु में रिलेक्सेशन की अधिसूचना जारी कर दी गई है, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया है. सरकार को चाहिए की इसे जल्द लागू करें.
राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ के सदस्यों ने कहा कि सेवानिवृति की उम्र पूर्व भाजपा सरकार ने 60 से 58 कर दी थी, जबकि पूर्व वीरभद्र सरकार में इसे बढ़ाया गया था. अब सरकार से मांग है कि इसे फिर से 60 वर्ष किया जाए. सरकार अगर उनकी मांगें नहीं मानती है तो सचिवालय का घेराव करेंगे और उनका धरना जारी रहेगा. दृष्टिहीन आज सुबह सचिवालय का घेराव किया. गौरतलब है कि दृष्टिहीन काफी लंबे समय से अपनी मांग को लेकर सरकार के पास जा रहे हैं, लेकिन अभी तक इनकी मांगें मानी नहीं गई हैं.