भदोही की छात्रा शिखा द्विवेदी ने संस्कृत में टॉप किया है और राष्ट्रपति के हाथों से दो गोल्ड मेडल प्राप्त किए हैं। शिखा द्विवेदी को संस्कृत का विद्वान बनाने वाले फुरसत अली मुस्लिम हैं। इसी बीएचयू में मुस्लिम संस्कृत शिक्षक की नियुक्ति को लेकर विरोध हुआ था।
हाइलाइट्स
- भदोही की शिखा द्विवेदी को राष्ट्रपति से मिले दो गोल्ड मेडल
- संस्कृत से बीए के तीनों वर्षों में कॉलेज टॉप हुईं शिखा द्विवेदी
- शिखा ने संस्कृत शिक्षक फुरसत अली का लिया मार्गदर्शन
शिखा द्विवेदी जिले के मकनपुर मोढ़ निवासी वरिष्ठ पत्रकार रामश्रृंगार द्विवदी की पौत्री और युवा पत्रकार कृष्ण कुमार द्विवेदी के पांच संतानों में तीसरी हैं। उनकी प्राथमिक शिक्षा मोढ़ स्थित सूर्या बालिका इण्टर कॉलेज में हुई है। अभी वो घनश्याम दुबे महाविद्यालय सुरियावां में बीएड कर रही हैं। वह कुशाग्र छात्रा हैं। शिखा ने बीए के तीनों वर्षों में कॉलेज में टॉप किया था।
कॉलेज में शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही वो मोढ़ निवासी संस्कृत के अध्यापक फुरसत अली के मार्गदर्शन में संस्कृत की शिक्षा पाकर गोल्ड मेडल की हकदार बनी हैं। उनकी इच्छा सिविल सर्विस में जाकर देश करने की है। शिखा का भाई विभव ग्वालियर से बी फार्मा कर रहा है। उनकी दो बहनें प्राची और मुस्कान भी कॉलेज टॉपर रही हैं। सबसे बड़ी बहन आकांक्षा का विवाह हो चुका है। वह भी पढ़ने में बहुत होनहार रही हैं।
कौन है फुरसत अली जिसने शिखा को बनाया संस्कृत का विद्वान
जिले के मोढ़ बाजार के बीचोंबीच कोई गुजरता है तो पक्के मकानों के बीच मिट्टी की दीवारों से बना खपरैल का एक जर्जर मकान बरबस ही लोगों की निगाह खींच लेता है। पक्की इमारतों के बीच यह मकान कोट में पैबंद की तरह नजर आता है। लोगों के मन में बरबस ही यह सवाल उठ जाता है कि जब बाजारों में लोग बहुमंजिली सुख-सुविधा युक्त बहुमंजिली इमारतें बनवा रहे हैं तो मुफलिसी में जीने वाला यह शख्स कौन है! इसी घर में रहते हैं शिखा को संस्कृत का विद्वान बनाने वाला फुरसत अली।
कहते हैं जहां सरस्वती वास करती हैं, वहां लक्ष्मी नहीं आतीं और यही कहावत चरितार्थ करता है संस्कृत विद्वान फुरसत अली का जीवन। फुरसत अली की संस्कृत में गहरी आस्था है। उसने घनश्याम दुबे महाविद्यालय, सुरियावां से बीए-बीएड किया है। काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से संस्कृत में एमए प्रथम श्रेणी में पास किया है। वर्तमान में प्रयागराज जनपद के हंडिया पोस्ट ग्रेजुएट कालेज से एमएड कर रहे हैं। शिक्षा ग्रहण करने के साथ फुरसत अली छात्र-छात्राओं को संस्कृत पढ़ाते हैं और उससे जो धनोपार्जन होता है, उसी से वो अपनी शिक्षा पूरी कर रहे हैं। नौकरी के लिए भी संघर्ष जारी है लेकिन कभी-कभी उनके मन में समाज के व्यवहार से निराशा भी पैदा होती है। हालांकि, उनका कहना है कि मंजिल मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा।
गोल्ड मेडलिस्ट शिखा को बधाई देने वालों का तांता
राष्ट्रपति से गोल्ड मेडल मिलने के बाद उसके घर पहुंच कर बधाई देने वालों और सम्मान करने वालों का तांता लगा हुआ है। घनश्याम दुबे महाविद्यालय में उनके सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पत्रकारों ने भी उनके घर पहुंचकर पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया। राष्ट्रपति से गोल्ड मेडल मिलने की सूचना पर जयदीप हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. वीके दुबे सहित पत्रकार हरीश सिंह, समाजसेवी राजकुमार पाण्डेय, केके श्रीवास्तव जैसे गणमान्य लोग घर पहुंचे और अंगवस्त्रम एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित करके सुखद जीवन का आशीर्वाद दिया।