वनों में आग लगने की घटनाओं पर रोक एवं नियंत्रण में सहयोग करेंगे आपदा मित्र-उपायुक्त

 

  •  कड़ी गर्मी एवं लू लगने पर बचाव सम्बन्धी उपायों पर एडवाईजरी जारी  

उपायुक्त सोलन मनमोहन शर्मा ने कहा कि गर्मी के मौसम में जंगलों में आग लगने की घटनाओं पर रोक एवं नियंत्रण के दृष्टिगत ज़िला में सभी आवश्यक प्रबंध किए गए हैं। उन्होंने सभी उपमण्डलाधिकारियों (ना.) को वन विभाग के साथ समन्वय स्थापित करते हुए इस तरह की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए हैं।
मनमोहन शर्मा ने कहा कि वनों के समीप रहने वाले लोगों व जनसाधरण के सहयोग एवं जागरूकता से ऐसी घटनाओं पर प्रभावी ढंग से रोक लगाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि वनों में लगने वाली आग पर नियंत्रण के लिए सभी उपमण्डलाधिकारियों को आपदा मित्र तैनात करने एवं स्थानीय स्वयं सेवकों से मदद लेने के निर्देश दिए गए हैं।
ज़िला प्रशासन की ओर से गत माह ग्रीष्म ऋतु, 2024 के दौरान जंगलों में लगने वाली आग के कारण सार्वजनिक संपत्ति और जंगलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के दृष्टिगत हिमाचल प्रदेश ग्राम एवं लघु नगर गश्त अधिनियम, 1964 की धारा 3 के तहत आदेश जारी किए गए हैं। 15 जुलाई, 2024 तक लागू इन आदशों के तहत ज़िला के समस्त गांवों के निवासी सभी सक्षम पुरुष जंगलों में आग से बचाव के लिए गश्त लगाने के लिए उत्तरदायी होंगे। उन्होंने जन साधारण से इसमें सहयोग व सतर्क रहने की अपील की है।
उपायुक्त ने कहा कि कहा कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से हीट स्ट्रोक व लू लगने के खतरे से बचने के दृष्टिगत एडवाईजरी (परामर्श) भी जारी की गई है। इसके अनुसार लू लगे व्यक्ति को छांव में लेटा दें और यदि तंग कपड़े हों तो उन्हें ढीला कर दें अथवा हटा दें, ठंडे गीले कपड़े से शरीर पोछें या ठंडे पानी से नहलाएं। अपने घर को ठंडा रखें तथा पर्दे, शटर आदि का उपयोग करें व रात में खिड़कियां खुली रखें।
आमजन स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान और आगामी तापमान में परिवर्तन के बारे में सतर्क रहें। अगर किसी की तबीयत ठीक न लगे या चक्कर आए तो तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें। ऐसे व्यक्ति को ओ.आर.एस., नींबू पानी, नमक-चीनी का घोल पीने को दें जिससे शरीर में जल की मात्रा बढ़ सके।
यदि व्यक्ति पानी की उल्टियां करे या बेहोश हो जाए तो उसे कुछ भी खाने-पीने को न दें, लू लगे व्यक्ति की हालत में एक घंटे तक सुधार न हो तो उसे तुरन्त नज़दीकी स्वास्थ्य केन्द्र में लें जाएं। बेहोशी की हालत में खाने-पीने को न दें और होश में आने पर ठंडा पानी या तरल पदार्थ पीने को दें। जानवरों को छांव में रखें और पानी पीने को दें।
लू से बचाव के लिए जहां तक सम्भव हो कड़ी धूप में बाहर न निकलें व अधिक तापमान में कठिन कार्य न करें। शराब, चाय, कॉफी, अत्याधिक मीठे पेय पदार्थ, कोल्ड ड्रिंक, गैस वाले पदार्थों का सेवन न करें। धूप में बच्चों को न खेलने दें, बासी खाना न खाएं, गर्मी की चरम सीमा में खाना न पकाएं। धूप में बच्चों और पालतू जानवरों को गाड़ी में अकेला न छोड़ें। जितनी बार हो सके पानी पिएं, प्यास न लगने पर भी पानी पिएं और सफर में पीने का पानी हमेशा साथ रखें। जब भी धूप में जाएं तो हल्के रंग के और ढीले-ढीले सूती कपड़े पहनें, धूप के चश्मे का उपयोग करें, गमछे या टोपी से अपने सिर को ढकें और हमेशा जूते या चप्पल पहनें रखे।
एडवाईजरी के अनुसार छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बाहर काम करने वाले लोग व मानसिक रूप से अस्वस्थ व दिव्यांग व्यक्ति हीट स्ट्रोक के लिए अति संवेदशील लोगों की श्रेणी में आते हैं और इनका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से सचेत मोबाइल ऐप के माध्यम से समय-समय पर मौसम व अन्य आपदाओं की सटीक जानकारी उपलब्ध करवाई जाती है। ऐसे में सभी लोगों से इस ऐप को अधिक से अधिक उपयोग में लाने का भी आग्रह किया गया है। आपात स्थिति में कोई भी व्यक्ति टोल फ्री दूरभाष नम्बर 1070/1077 पर अथवा दूरभाष नम्बर 01792-220049 व 01792-220882 पर भी सम्पर्क कर सकते हैं।