उम्र बढ़ने के बाद लोग अपने सभी कामों से रिटायर हो कर आराम करना चाहते हैं लेकिन वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो रिटायर होने के बाद भी कुछ न कुछ करते रहना चाहते हैं. कुछ ऐसी ही ललक रही है बुंदेलखंड के एक बुजुर्ग शख्स के मन में और उनकी इसी ललक ने उन्हें रिटायरमेंट के बाद मालामाल कर दिया है.
रिटायरमेंट के बाद शुरू की किसानी
पानी की भारी समस्या के कारण बुंदेलखंड जिले में सिंचाई की कमी रहती है. यही कारण है कि यहां के कई किसान फसल अच्छी न होने के कारण परेशान रहते हैं. पानी की इस किल्लत के कारण यहां जमीनें बंजर पड़ी रहती हैं. फसल लगाने के बाद भी उपज बेहद कम हासिल होती है. लेकिन ऐसे सूखे क्षेत्र में भी एक बुजुर्ग ने अपनी सोच के दम पर एक ऐसी पैदावार लगाई जिसने उन्हें रिटायरमेंट के बाद भी खूब धन कमा कर दिया.
एक तरफ जहां कम बारिश वाला ये क्षेत्र अन्य किसानों की परेशानी का सबब बना हुआ है, वहीं हमीरपुर जिले की मोदहा तहसील के भरसवा गांव के रहने वाले 62 वर्षीय प्रगतिशील किसान राज कुमार पांडेय ने इसी कम बारिश की वजह से कमाल कर दिखाया है. इन्होंने बांस की पैदावार से ये कमाल किया है.
10 लाख में लगाए बांस के पौधे
राज कुमार पांडेय आर्यावर्त बैंक में क्षेत्रीय प्रबंधक के पद पर कार्यरत थे. इन्होंने बांस की खेती कर के करोड़ों कमाए हैं. रिटायरमेंट के बाद राज कुमार ने बांस की खेती शुरु की. हालांकि शुरुआत में पानी की कमी के कारण उन्हें बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. मीडिया से बात करते हुए राज कुमार पांडेय बताते हैं कि उन्होंने मध्यप्रदेश से भीमा बांस, कटिंगा, योलो वर्गरिक, टूडला प्रजाति की पौध मंगाई थी. बांस की इन प्रजाति के पौधे बेहद तेजी से विकास करते हैं. इसके बाद उन्होंने 10 हेक्टेयर में ये पौधे लगाए, जिस पर उनकी लागत 10 लाख रुपये तक आई है.
1 करोड़ का हुआ मुनाफा
राज कुमार को अपनी पहली पौध लगाने के चार साल बाद मुनाफा मिला. पानी की कमी के कारण किसानों को काफी समस्याों का समाना करना पड़ता है. राज कुमार को भी इसी कारण से काफी परेशानी हुई. इन परेशानियों से जूझते हुए इन्होंने अपनी मेहनत जारी रखी और बाद में उन्हें इस मेहनत का बेहद मीठा फल मिला. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 10 लाख में रोपे हुए बांस के पौधों ने 4 साल बाद राज कुमार को 1 करोड़ रुपये का फायदा दिया. बताया जाता है कि अगर बांस के पौधे एक बार रोप दिए जाएं तो ये लगभग 40 साल तक मुनाफा देते हैं. मार्केट में भी बांस की खूब मांग है जिस वजह से बड़ी कंपनियां बांस की अच्छी कीमत देने को तैयार रहती हैं.
राज कुमार पांडेय बताते हैं कि उनके खेत में पहले 150 फिट पर पानी निकलता था. बांस की खेती शुरू करने के बाद जलस्तर में सुधार आया है. छोटे हैंड पम्प पानी देना बंद कर चुके थे. अब उनके खेत के आसपास के जलस्तर में काफ़ी परिवर्तन हुआ है. जिस कारण कई छोटे हैंड पंपों में पानी आने लगा है. इसके साथ ही बांस के पौधों से पर्यावरण को भी फायदा हुआ है और हवा शुद्ध हुई है.