युवा ने खेत में थोड़ा सा प्रयोग किया, और तैयार कर दी खीरे की उन्नत फसल, अब लाखों की हो रही कमाई

भारत के अंदर खेती को हमेशा से घाटे का सौदा माना गया है. आए दिन किसानों के आत्महत्या की खबर आती रहती हैं. खेती किसानी करने वाले लोगों का मानना है कि खेती अभिशाप बन चुका है. लेकिन अब नए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके देश के युवा खेती को मुनाफे का सौदा बना रहे हैं. राजस्थान के दौसा से 30 किलोमीटर दूर खवारावजी के रहने वाले विनेश इसका एक बड़ा उदाहरण है.

कब, और कैसे दिमाग में आया खेती का आइडिया?

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विनेश कुछ सालों पहले तक एक प्राइवेट जॉब करते थे, लेकिन अब खीरे की खेती करके लाखों रुपए कमा रहे हैं. करोना ने जब पूरे देश को हिला कर रख दिया था, जब लगभग सभी सेक्टर मंदी की ओर थे, तब विनेश ने एक खेत में एक छोटा सा प्रयोग किया, और कमाल कर दिया. जानकारी के मुताबिक कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम की एक नौकरी करते हुए विनेश के दिमाग में खेती का ख्याल आया था.

बता दें, 35 साल के इस युवा का पूरा परिवार खेती से जुड़ा हुआ है. किसान पृष्ठभूमि के इस नौजवान ने खीरे की खेती के बारे में रिसर्च शुरू किया तो पाली हाउस का आईडी भी आया. यूट्यूब की मदद से विनेश ने जानकारी इकट्ठा करना शुरू कर दिया. 21 मई 2021 में अपने 4000 वर्ग मीटर, यानी सिर्फ डेढ़ बिघे की खेती में ₹3 लाख की लागत से पाली हाउस लगाया और कैप्टन स्टार किस्म के खीरे की खेती शुरू की.

खीरे की खेती ने बदल दी किस्मत, लाखों की हो रही कमाई

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नवंबर का महीना खत्म होते-होते, उनके खेत में पहली बार 70 टन खीरे का प्रोडक्शन हुआ. पहली उपज नवंबर 2021 में हुई, और यह सिलसिला अप्रैल 2022 तक चलता रहा. विनेश ने कुल 18 लाख रुपए तक का खीरा बेचा. ट्रांसपोर्ट और तमाम कटौतीयों को करने के बाद करीब ₹900000 की बचत हुई. विनेश कहते हैं कि अब अगली उपज में 25 लाख रुपए की कमाई करने का टारगेट उन्होंने रखा है.

कस्टम में पार्सल एक्सपोर्ट की नौकरी करने वाले विनेश अपने गांव खवारावजी से दिल्ली जयपुर अप-डाउन करते हैं. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विनेश बताते हैं कि पानी की कमी होने की वजह से परिवार का खेती से इंटरेस्ट खत्म हो रहा था. सभी लोग प्राइवेट जॉब करने की कोशिश में लगे थे, लेकिन कोरोना महामारी के आने के बाद जब लॉकडाउन लगा तो वे नौकरी और खेती दोनों का सोचने लगे थे.

खीरे की खेती कैसे करें, क्या करना चाहिए, क्या नहीं?

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विनेश के मुताबिक, खीरे का सीजन पूरे साल रहता है, और हर मार्केट में खीरे की डिमांड है. साल में तीन बार, यानी हर 4 महीने में खीरे का प्रोडक्शन मिल जाता है. अब जब इतना ज्यादा प्रोडक्शन होता है तो प्रॉफिट लगातार उन्हें मिल रहा है. खेत में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए. इसके लिए विनेश ने खेत में पाउंड की व्यवस्था कर रखी है. वो बारिश का पानी स्टोर करते हैं और खेती में उपयोग करते हैं.