NASA Rover Moon: भारत के चंद्रयान-3 की कामयाबी के बाद अब नासा चांद पर पहुंचने में तेजी ला रहा है। नासा ने वाइपर रोवर बनाया है, जिसकी टेस्टिंग शुरू हो गई है। चांद पर इंसानों को पहुंचाने से पहले नासा का यह रोवर कई महत्वपूर्ण काम करेगा। इसे रैंप से उतारने का टेस्ट किया गया है।
भारत का चंद्रयान मिशन कामयाब हो चुका है। इसके बाद अब दुनिया भर की स्पेस एजेंसियां अपने चंद्रमा मिशन में तेजी ला रही हैं। नासा अपना एक चंद्रमा रोवर बना रहा है। इसका नाम ‘वोलेटाइल्स इन्वेस्टिगेटिंग पोलर एक्सप्लोरेशन रोवर’ (VIPER) है। नासा इसे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 2024 के अंत में पहुंचाना चाहता है। नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर के इंजीनियरों ने रोवर के प्रोटोटाइप को रैंप से नीचे उतारने का टेस्ट किया। अलग-अलग तरह से उतरने के लिए रैंप को कई कोण पर झुकाया गया।
यह रोवर जिस लैंडर में जाएगा उसे एक प्राइवेट कंपनी एस्ट्रोबोटिक की ओर से बनाया जा रहा है। यह चांद के नोबेल क्रेटर के पास उतरेगा। नासा ने तैयारियों से जुड़ा वीडियो भी शेयर किया, जिसमें दिख रहा है कि एक प्रोटोटाइप रोवर धीरे-धीरे लैंडर से सतह की ओर बढ़ रहा है। एक ट्वीट में नासा अधिकारियों ने लिखा, ‘हमारा वाइपर रोवर प्रोटोटाइप अपने चंद्रमा लैंडर से बाहर निकलने का अभ्यास कर रहा है। रोवर 2024 के अंत में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भविष्य के लैंडिंग स्थल के पास पहुंचने के लिए तैयार है।’
क्या होगा VIPER का मिशन
नासा का कहना है कि यह रोवर 2025 या 2026 से पहले आर्टेमिस 3 मिशन के लैंडिंग साइट के पास जाएगा और कुछ महत्वपूर्ण प्रयोग करेगा। नासा के आर्टेमिस प्रोग्राम का उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ चंद्रमा पर एक बार फिर जाना है। नासा यहां एक स्थाई बेस बनाना चाहता है। नासा के मुताबिक VIPER उस लक्ष्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि रोवर का मुख्य मिशन चंद्रमा की सतह पर बर्फ की खोज करना है। इस मिशन में पहले ही दो साल की देरी हो चुकी है।
चांद पर है पानी
भारत के चंद्रयान एक मिशन से पता चला था कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी है। यहां के कई क्रेटर हैं, जहां सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती वहां पानी बर्फ के रूप में मौजूद हैं। यहां कितनी बर्फ है इसका पता नहीं चल सका है। इसकी जानकारी पाने के लिए जमीनी मिशन चलाने की जरूरत पड़ेगी। भारत को हाल ही में चंद्रयान-3 मिशन में कामयाबी मिली है। इसके जरिए वह चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बन गया। वहीं चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश है।