ये हम सब जानते हैं कि धरती और मानव-जाति के लिए जंगल कितने जरूरी हैं. इसके बावजूद जंगल काटे जा रहे हैं. हम इंसान जंगलों को काटकर बिल्डिंगें बनाते हैं, फिर उन्हीं बिल्डिंगों में रहते हुए ऊब जाते हैं तो जंगल देखने निकल पड़ते हैं. जंगलों की कटाई से इकोसिस्टम पर असर पड़ने के साथ साथ जीव-जंतुओं की कई प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं और कई विलुप्त होने के कगार पर हैं.
अपनी 70 एकड़ जमीन पर बसाया जंगल
लेकिन इसके बावजूद हम इस बारे में कुछ नहीं कर पाते. हालांकि अगर सबकी सोच अगर दुशरला सत्यनारायण जैसी हो जाए तो जंगलों की कटाई की समस्या ही दूर हो जाए. ये भी सच है कि जितना दुशरला सत्यनारायण ने किया उतना हर कोई नहीं कर सकता लेकिन एक पेड़ लगाने से भी इसकि शुरुआत की जा सकती है. दुशरला सत्यनारायण ने अकेले दम पर अपनी 70 एकड़ पुश्तैनी जमीन को एक हरे-भरे जंगल में बदल डाला है.
जंगल में हैं 5 करोड़ पेड़-पौधे
तेलंगाना के सूर्यापेट जिले के एक गांव के रहने वाले दुशरला सत्यनारायण अपने इस जंगल के इकलौते कर्ताधर्ता हैं. उनके इस अपने जंगल में 5 करोड़ से ज्यादा पेड़ हैं. ये सभी घर पक्षियों की सैकड़ों प्रजातियों का घर हैं. इसके साथ ही जंगल में 13 तालाब हैं. उनका ये खास जंगल तेलंगाना के सूर्यापेट जिले राघवपुरम गांव में फल-फूल रहा है. फलों से लदे लाखों पेड़ इस 70 एकड़ जमीन पर फैले जंगल की खूबसूरती को और बढ़ा देते हैं. इनमें से कई पेड़ 50 साल से ज्यादा पुराने हैं. कुछ गुजरे तीन दशकों में बढ़े हैं. यह जंगल तमाम पक्षियों और वन्यजीवों का घर है. 69 साल के दुशरला सत्यनारायण बिना बाड़े के इस जंगल की खुद ही देखरेख करते हैं.
इस जंगल में हर एक एकड़ में 10 लाख से ज्यादा पेड़ लगे हैं. जिसमें आम, अमरूद, इमली से लेकर जामुन और बांस तक के पेड़-पौधे शामिल हैं. कई रियल एस्टेट डेवलपर्स ने ये कोशिश की कि दुशरला सत्यनारायण उन्हें अपनी जमीन बेच दें लेकिन वे सभी कामयाब नहीं हुए क्योंकि दुशरला का ये प्रण है कि वो अपनी अंतिम सांस तक जंगल की रक्षा करेंगे.
बैंक की नौकरी छोड़ दी
जंगल के प्रति दुशरला सत्यनारायण का ये स्नेह देखकर ये समझना गलत होगा कि उन्होंने पढ़ाई लिखाई पर ध्यान नहीं दिया. वह एग्रीकल्चर से बीएससी पास हैं और बैंक में अधिकारी भी रह चुके हैं. हालांकि, नलगोंडा जिले में जल संकट मुद्दे पर समय देने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी. दुशरला ने जो जंगल उगाया है, उसका नैचुरल इकोसिस्टम है. पेड़ों को कतई काटा नहीं जाता है. अगर शाखाएं टूटकर गिर जाती हैं तो उन्हें भी नहीं हटाया जाता है.