बस कंडक्टर की बेटी ने मां के अपमान के बाद ऑफिसर बनने की ठानी, खुद से की तैयारी और बन गई IPS

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पढ़ाई के लिए बच्चों को अक्सर अपने बड़ों के ताने सुनने पड़ते हैं. बच्चे इन तानों का बुरा भी मान जाते हैं.

किन्तु, क्या आप जानते हैं, यही ताने किसी को आईपीएस भी बना सकते हैं. जी हां आप सही सुन रहे हैं, सिविल सर्विस एग्जाम सबसे कठीन परीक्षाओं में से एक माना जाता है. कई लोग सालों की मेहनत बाद भी ये परीक्षा पास नहीं कर पाते लेकिन आज जिस बहादुर आईपीएस ऑफिसर की कहानी यहां आपको बताने जा रहे हैं उसने किसी अजनबी का ताना सुन कर ऐसी कठिन परीक्षा दी भी और उसे पास भी किया.

अब नाम से कांपते हैं अपराधी

IPS Shalini Twitter

ये कहानी है हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के एक छोटे से गांव ठठ्ठल की रहने वाली लड़की शालिनी अग्निहोत्री की. शालिनी ने एक अजनबी द्वारा दिए गए ताने को सुन कर बिना अपने घरवालों को बिना बताए यूपीएससी एग्जाम की नया केवल तैयारी की बल्कि उसे पहले ही प्रयास में पास कर आईपीएस अफसर भी बनीं.

एक बस कंडक्टर की बेटी शालिनी आज एक ऐसी पुलिस ऑफिसर के रूप में जानी जाती हैं जिनसे अपराधी थर-थर कांपते हैं. उनके इसी जज्बे और काबलियत के लिए उन्हें प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठित बेटन और गृहमंत्री की रिवॉल्वर दी गयी है. इसके अलावा शालिनी ने ट्रेनिंग के दौरान बेस्ट ट्रेनी का अवॉर्ड जीतने के साथ साथ राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कृत हुई हैं. कुल्लू में पोस्टिंग के दौरान वह रातों रात तब चर्चा में आ गई थीं जब उन्होंने नशा कारोबारियों के खिलाफ मुहिम चला कर इस काले धंधे की कमर तोड़ी थी.

एक ताने ने बना दिया आईपीएस

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इस बेखौफ और बहादुर आईपीएस ऑफिसर के यहां तक पहुँचने की कहानी भी दिलचस्प है. छोटी सी शालिनी के मन में पुलिस बनने का विचार तब आया जब वह एक बार अपनी मां के साथ बस में सफर कर रही थीं. उस समय शालिनी की उम्र कुछ ज्यादा नहीं थी लेकिन उन्होंने सब देखा और इस घटना का गहरा असर पड़ा उन पर.

दरअसल इस सफर के दौरान एक अनजान शख्स ने उनकी मां की सीट के पीछे हाथ लगा रखा था. इस वजह से उनकी मां असहज हो रही थीं तथा ठीक से बैठ नहीं पा रही थीं. उन्होंने बार बार उस व्यक्ति से हाथ हटाने का अनुरोध किया लेकिन हाथ हटाने की बजाए वह शख्स गुस्सा हो गया और तमतमाया हुआ बोला ‘तुम कहां की डीसी लग रही हो जो तुम्हारी बात मानी जाए.’ उस अज्ञात व्यक्ति का यही ताना नन्ही सी शालिनी के मन को भेद गया. उन्होंने ठान लिया कि अब वह बड़ी होकर अफसर ही बनेंगी.

बिना परिवारवालों को बताए की तैयारी

IPS Shalini Facebook

शालिनी अग्निहोत्री ने 10वीं की परीक्षा में 92 प्रतिशत से ज्यादा नंबर हासिल किये लेकिन 12वीं में उन्हें सिर्फ 77 प्रतिशत नंबर ही मिले. लेकिन इसके बावजूद उनके घरवालों ने उनपर भरोसा जताया और उन्हें मन लगाकर पढ़ने के लिए प्रेरित किया. शालिनी अग्निहोत्री ने धर्मशाला के डीएवी स्कूल से 12वीं करने के बाद पालमपुर स्थित हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी कृषि में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. शालिनी ने जो सपना बचपन में देखा था वो उन्हें हमेशा याद रहा. यही वजह रही कि उन्होंने ग्रेजुएशन के साथ ही यूपीएससी की तैयारी करना भी शुरू कर दिया था.

हालांकि शालिनी ने घर वालों को ये जानकारी नहीं दी थी कि वह कॉलेज के बाद यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करती हैं. शालिनी को पता था कि ये परीक्षा बेहद कठिन है. उन्हें लगता था कि अगर वह असफल रहीं तो घर वाले उनकी असफलता से निराश हो जाएंगे. यही वजह है कि उन्होंने बिना किसी को बताए खुद से ही यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करना जारी रखा. इसके लिए उन्होंने किसी बड़े शहर में जा कर कोचिंग लेने के बारे में भी नहीं सोचा और खुद से ही तैयारी में जुटी रहीं.

पूरा कर लिया सपना

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शालिनी ने मई 2011 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी. 2012 में इंटरव्यू का परिणाम भी आ गया. इसके साथ ही शालिनी ने खुद से किया हुआ वादा पूरा कर लिया. वह ऑल इंडिया में 285वीं रैंक प्राप्त करते हुए इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) के लिए चुनी गईं.

शालिनी अग्निहोत्री के पिता रमेश अग्निहोत्री बस कंडक्टर थे. इसके बावजूद उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई में कभी कोई कमी नहीं की. उन्हें इसका फल भी मिला. आज शालिनी के इलाव उनकी बड़ी बेटी डॉक्टर तो बेटा एनडीए पास करके आर्मी में है.