फ़्रांस की राजधानी पेरिस में ओलंपिक खेलों के आयोजन में एक साल से कम समय बचा है. दुनिया जहान में जानिए कि 2024 में होने वाले ओलंपिक के लिए कितना तैयार है पेरिस.

पेरिस 2024 ओलंपिक के लिए कितना तैयार?

पेरिस ओलंपिक का शुभंकर
 

फ़्रांस की राजधानी पेरिस में ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों के आयोजन में एक साल से कम समय बचा है.

ओलंपिक के उद्घाटन समारोह को शानदार बनाने के लिए तैयारियां ज़ोरों पर हैं. मगर इस बार उद्घाटन समारोह को परंपरा से हटकर स्टेडियम की बजाय पेरिस की सीन नदी के किनारे आयोजित किया जा रहा है.

करीब 10 हज़ार एथलीट नांवों में बैठ कर ट्रॉकेडेरो प्लाजा पहुंचेंगे. वहां उद्घाटन समारोह होगा.

एक और नई बात यह है कि कई जगहों पर दर्शक ओपनिंग सेरेमनी को मुफ़्त में देख पाएंगे. ऐसा आम लोगों में ओलंपिक के प्रति रुचि बढ़ाने के उद्देश्य से किया जा रहा है.

इसका दूसरा उद्देश्य यह है कि पिछले कुछ सालों से पेरिस राजनीतिक विवाद और विरोध प्रदर्शनों की चपेट में फँसा रहा है.

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सीन नदी

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सीन नदी पेरिस में 13 किलोमीटर लंबा रास्ता तय करती है. उस सफर में 30 पुल आते हैं.

नदी के किनारे से शहर के कई आकर्षक और ऐतिहासिक नज़ारे भी देखे जा सकते हैं. मिसाल के तौर पर आइफल टॉवर और लूव्र म्यज़ियम. लेकिन नदी की ख़ूबसूरती में एक कमी ज़रूर है. लगभग 100 सालों तक पेरिस में सीन नदी में तैरने पर प्रतिबंध लगा हुआ था क्योंकि नदी बेहद प्रदूषित थी. इसकी वजह है पेरिस के नालों के ज़रिए नदी में पहुंचने वाला गंदा पानी.

साल 2017 में पेरिस को ओलंपिक खेलों की मेजबानी मिली तो प्रशासन सीन नदी की सफाई में जुट गया. इसका उद्देश्य 2024 तक नदी को इतना साफ़ कर देना था कि वहां तैराकी हो सके. मगर पेरिस में सीन नदी के प्रदूषण को समझने के लिए हमें पेरिस के इतिहास के उस समय में झांकना पड़ेगा जब पेरिस में सिवेज सिस्टिम यानि मल-जल प्रणाली थी ही नहीं.

इस बारे में हमने बात की ज्यां मैरी मूशेल से, जो पेरिस की सोबोर्न यूनिवर्सिटी में हाइड्रोलॉजी के प्रोफ़ेसर हैं.

वो कहते हैं कि उन्नीसवीं सदी के मध्य तक पेरिस में सिवेज प्रणाली नहीं थी. हर मकान से मल-जल उठाकर शहर के बाहर खेतों में डाल दिया जाता था. उस समय पेरिस में घोड़े भी चलते थे. सड़कों पर घोड़ों का मल भी गिरता था. उन्नीसवीं सदी के अंत में इस समस्या के समाधान के लिए भूमिगत सिवेज प्रणाली बनायी गयी.

वो बताते हैं, ”तब यह फ़ैसला किया गया कि सभी प्रकार के मल-जल को एक ही सीवरेज पाइप में डाला जाएगा. इसे कंबाइन्ड सिवेज सिस्टिम कहा जाता था.”

मगर समस्या यह थी कि यह मल-जल सीवरेज के ज़रिए पेरिस के आसपास की खेती की ज़मीन पर डाल दिया जाता था. अंतत: 1935 में मल-जल के लिए एक ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया. अशेर ट्रीटमेंट प्लांट दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सिवेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट है. लेकिन अगर पेरिस में तेज़ बारिश हो जाए तो इस प्लांट के लिए दिक्कतें खड़ी हो जाती हैं.

ज्यां मैरी मूशेल ने कहा,”अगर प्लांट की क्षमता से अधिक पानी वहां पहुंच जाए तो वह उसे साफ़ नहीं कर पाएगा. बल्कि प्लांट काम करना बंद कर देगा. इसलिए जब मौसम की वजह से अत्याधिक मात्रा में पानी प्लांट के टैंकों में भर जाए तो उसे कहीं ना कहीं निकालना पड़ता है. प्लांट का डिज़ाइन ऐसा है कि उस स्थिति में वो गंदे पानी को पाइप के ज़रिए सीन नदी में बहा देता है.”

यानी सीन नदी को साफ़ करने के लिए पेरिस प्रशासन को बारिश के पानी को निकालने के दूसरे विकल्प खोजने पड़ंगे. इसका एक तरीका यह है कि पेरिस के आसपास के गांवों से बारिश के पानी को बहकर सीन नदी में जाने से रोक दिया जाए.

ज्यां मैरी मूशेल के मुताबिक़, इसके लिए पेरिस के आस-पास के गांवों के घरों की छतों से बहकर गिरने वाले पानी को सीवरेज में जाने से रोकना पड़ेगा. इसके लिए हर घर को अपनी छत के ढांचे में कुछ बदलाव करने पड़ेंगे. इसमें समय लगेगा और पेरिस में कई इमारतों में यह करना संभव भी नहीं है. अगर इस पर अमल किया जा सके तो यही बेहतर तरीका होगा.

अब शहर के भीतर बारिश के पानी को रोकने के लिए सीन नदी के किनारे पर एक भूमिगत टैंक बनाया गया है.

लेकिन ज्यां मैरी मूशेल कहते हैं कि बहुत कुछ मौसम पर निर्भर करेगा. अगर ज़्यादा बारिश हुई तो इस टैंक से कुछ पानी नदी में छोड़ना पड़ेगा और कभी-कभार नदी के पानी की क्वालिटी ख़राब होगी. 2023 के गर्मियों में रिकॉर्ड बारिश हुई. इसके चलते ओलंपिक खेलों के खुले पानी में होने वाले कुछ खेलों की टेस्टिंग रद्द करनी पड़ी.

मगर पेरिस प्रशासन के सामने सीन नदी की सफ़ाई ही एक मात्र समस्या नहीं है. अन्य चुनौतियां भी हैं.

ढांचागत व्यवस्था

पेरिस में तैयार हो रहा खेल गांव
 

किसी भी मेज़बान देश के लिए ओलंपिक खेलों का आयोजन एक बड़ी ज़िम्मदारी होती है. इसकी तैयारियों को लिए ढांचागत व्यवस्था तैयार करने का बोझ देश की अर्थव्यवस्था पर ही नहीं बल्कि पर्यावरण पर भी पड़ता है.

ओलंपिक के आयोजन के लिए पेरिस में 70 से अधिक कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं. आयोजकों का दावा है कि इनके निर्माण से पैदा होने वाले कार्बन उत्सर्जन की मात्रा लंदन और रियो ओलंपिक के दौरान हुए निर्माण कार्यों की तुलना में काफ़ी कम होगी क्योंकि आयोजन के लिए आवश्यक 95 फीसदी ज़रूरतें पूरी करने के लिए पहले से बनी हुई इमारतों या अस्थायी इमारतों का इस्तेमाल किया जाएगा.

कई जगहों पर पहले से अच्छी सार्वजानिक यातायात व्यवस्था उपलब्ध है. फ़्रांस-24 की पत्रकार फ़्लोरेंस विलेमिनो का कहना है कि प्रतियोगिता के लिए चुनी गयी कई जगहें पहले से तैयार थीं.

वो कहती हैं, ”अगर टोक्यो, रियो या लंदन ओलंपिक से तुलना की जाए तो पेरिस में नई इमारतों और आयोजन स्थलों का निर्माण बहुत कम किया गया है. इस वजह से शहर का कायापलट भी वैसा नहीं है जैसा दूसरे ओलंपिक खेलों की वजह से हुआ था.”

पेरिस का मशहूर स्टेड डी फ़्रांस ओलंपिक खेलों का मुख्य स्टेडियम होगा. यह देश का सबसे बड़ा स्टेडियम है, जहां 80 हज़ार दर्शक बैठ सकते हैं.

यहां फ़्रांस की राष्ट्रीय फ़ुलबॉल और रग्बी टीम के मैच आयोजित होते रहे हैं. 2024 ओलंपिक खेलों की कई प्रतियोगिताएं यहां आयोजित की जाएंगी. इसके पास ही एक नए एक्वैटिक सेंटर और एथलीटों के रहने के लिए ओलंपिक विलेज या खेल गांव का निर्माण किया जा रहा है.

फ़्लोरेंस विलेमिनो ने कहा, ”सीन सेंटडेनी में ओंलंपिक विलेज बन कर लगभग तैयार हो गया है. ओलंपिक विलेज में एथलीटों के लिए बनाए गए मकान बाद में आम लोगों को बेच दिए जाएंगे. सरकारी समाज कल्याण के तहत कई मकान सस्ते दामों पर दिए जाएंगे.”

अब यह मकान कितने सस्ते होंगे यह देखने वाली बात है. लेकिन सेंट डिनी, जहां यह मकान बन रहे हैं उस इलाके में ग़रीबी ज्यादा है.

हर ओलंपिक खेल के बारे में कहा जाता है कि इसके आयोजन से मेज़बान शहर और देश की अर्थव्यवस्था को फ़ायदा होता है. हो सकता है इस इलाके में ओलंपिक खेलों के आयोजन के चलते अधिक मकान उपलब्ध हो जाएं और सार्वाजानिक यातायात की सुविधाएं बेहतर हो जाएं. वैसे सार्वजानिक यातायात भी ओलंपिक खेलों के आयोजकों के लिए एक बड़ी चुनौती है.

सवाल यह है कि क्या पेरिस की भूमिगत मेट्रो रेल बड़ी तादाद में शहर पहुंचने वाले लोगों का बोझ ढो पाएगी?

फ़्लोरेंस विलेमिनो कहती हैं, ”मुझे नहीं पता यह कैसे संभव होगा. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि ओलंपिक गर्मियों में होंगे जिस समय कई लोग छुट्टी मनाने बाहर चले जाते हैं और मेट्रो रेल में लोगों की भीड़ कम होती है इसलिए कोई दिक्कत नहीं आएगी. मगर लोग चिंतित हैं.”

आयोजक, ओलंपिक के दौरान यातायात के लिए दो मेट्रों लाइनों पर निर्भर हैं. लाइन 14 और लाइन 16 जो आधिकारिक ओलंपिक लाइन है. यह लाइन शहर के ग़रीब इलाकों से गुज़रती है और अधिकांश ओलंपिक स्थलों तक जाती है मगर समय रहते लाइन 16 का निर्माण पूरा हो जाने की संभावना नहीं दिखती.

कहा जा रहा है कि लोग इस दौरान बसों और साइकल पथ का इस्तेमाल करेंगे. पेरिस के सामने दूसरी बड़ी चुनौती है सुरक्षा की.

विलेमिनो कहती हैं कि ओलंपिक के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर सीसीटीवी कैमरे और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजंस टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. प्रशासन का दावा है कि ओलंपिक का आयोजन सुरक्षित तरीके से संपन्न होगा. प्रशासन का एक उद्देश्य यह भी है कि ज़्यादा से ज्यादा लोग प्रतियोगिताएं देख पाएं लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा यह है कि टिकट इतने महंगे हैं कि कई लोग ख़रीद नहीं पाएंगे.

वो कहती हैं, ”टिकटों के मंहगे दाम की वजह से कुछ एथलीट भी नाराज़ हैं. उनका कहना है कि वो अपने परिवार और दोस्तों के लिए अपनी मैच के टिकट नहीं ख़रीद पाएंगे. एक पूर्व जिमनास्ट ने कहा कि ओलंपिक में भाग लेना यहां के टिकट ख़रीदने से ज़्यादा आसान है. बहुत से लोग इससे निराश हैं. उन्हें आशा थी कि वो स्टेडियम में जाकर ओलंपिक के मैच देख पाएंगे लेकिन अब उन्हें घर पर टीवी पर ही मैच देखने पड़ेगे.”

लंदन, रियो और टोक्यो

पेरिस की मेट्रो

इमेज कैप्शन,पेरिस की मेट्रो

बिल हैनवे, अमेरिका की एकॉम नाम की स्पोर्ट्स मेनेजमेंट और कंस्ट्रक्शन कंपनी में वरिष्ठ अधिकारी हैं.

वो लंदन ओलंपिक और रियो ओलंपिक के आयोजन में भी शामिल रहे हैं और लास एंजेलिस में 2028 में होने वाले ओलंपिक खेलों की तैयारी में भी शामिल हैं.

वो कहते हैं कि किसी शहर को ओलंपिक आयोजन की बहाली और खेलों की असल तारीख़ के बीच लंबा अंतराल होता है जिस दौरान बहुत कुछ बदल जाता है. मिसाल के तौर पर लंदन को ओलंपिक खेलों का आयोजन 2005 में प्राप्त हुआ था. लेकिन तीन साल बाद ही दुनिया आर्थिक संकट की चपेट में आ गयी. कई लोगों की नौकरियां छूट गयीं, मकानों की कीमत गिर गयीं. लेकिन बिल हैनवे कहते हैं कि इससे ओलंपिक खेलों के लिए प्रोजेक्ट में शामिल कंस्ट्रक्शन कंपनियों को फ़ायदा हुआ.

वो कहते हैं, ”जब आर्थिक संकट शुरू हुआ तो हमें कम दाम पर प्रॉपर्टी मिल गयी. सस्ते दाम पर कुशल मज़दूर मिले.”

कुछ साल बाद जब अर्थव्यवस्था पटरी पर आई तो प्रॉपर्टी डेवेलपरों ने काफ़ी मुनाफ़ा कमाया. मगर लोगों को सस्ते मकान देने के वादे पूरे नहीं किए गए.

कोविड महामारी की वजह से 2020 में टोक्यो ओलंपिक खेल समय पर शुरू नहीं हो पाए. और जब शुरू हुए तो विदेशी दर्शकों को आने की अनुमति नहीं दी गई थी. मेज़बान देशों के लिए ओलंपिक के आयोजन का एक उद्देश्य होता है कि अर्थव्यवस्था के कमज़ोर हिस्सों में नई जान फूंकी जा सके, और दूसरा यह कि खेलों की विरासत देश के सारे हिस्सों तक फैले.

बिल हैनवे का कहना है कि पेरिस ओलंपिक के आयोजन में पर्यावरण के संरक्षण और ओलंपिक खेलों के बाद उसकी सामाजिक विरासत पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जो कि रियो, लंदन और टोक्यो ओलंपिक के मुकाबले अलग है. शहर के कई हिस्सों में खेल का आयोजन हो रहा है और उन्हें किफ़ायती तरीके से करने की कोशिश की जा रही है.

मगर क्या सभी तैयारियां समय रहते पूरी हो पाएंगी?

इस सवाल पर बिल हैनवे कहते हैं, ”चिंताएं तो हैं लेकिन उनका समाधान निकालने की कोशिश चल रही है. अक्सर कई तैयारियां ऐन वक्त पर ही पूरी हो पाती हैं. मिसाल के तौर पर लंदन ओलंपिक में जिस कंपनी को सुरक्षा संभालने का कांट्रेक्ट मिला था वो अपना काम आख़िरी वक़्त तक पूरा नहीं कर पाई और अंत में सेना की सहायता लेनी पड़ी. अक्सर हर समस्या के समाधान के लिए दूसरे विकल्पों के तैयार रखा जाता है.”

आख़िरी सवाल यह है कि क्या फ्रांस की जनता देश में बड़ी तादाद में आने वाले फैंस के लिए तैयार है या वो आंतरिक राजनीतिक उथल-पुथल में ही उलझी हुई है?

यौन हिंसा के खिलाफ पेरिस में प्रदर्शन

इमेज कैप्शन,यौन हिंसा के खिलाफ पेरिस में प्रदर्शन

लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र की प्रोफ़ेसर रेनबो मरे का मानना है कि ऐसी खेल प्रतियोगिताएं देश में एकजुटता भी बढ़ाती हैं.

वो कहती हैं, ”आम तौर पर फ़्रेंच लोगों में खेल को लेकर काफ़ी उत्साह होता है. देश की राष्ट्रीय टीमों में कई नामचीन एथलीट श्वेत नहीं हैं बल्कि विदेशी मूल के हैं. प्रतियोगिताओं से देश में विभिन्न गुटों के बीच एकजुटता बढ़ती है. नस्लीय तनाव कम होता है.”

2018 से फ़्रांस में कई मुद्दों पर राजनीतिक तनाव पैदा होता रहा है. अभी जून में ही पुलिस ने एक निहत्थे युवा को गोली मार दी थी. इसके वहां हिंसक विरोध-प्रदर्शन फैल गए थे.

रेनबो मरे का मानना है कि केवल नस्ल के आधार पर भेदभाव ही तनाव की वजह नहीं है बल्कि आर्थिक असमानता भी एक बड़ा कारण है. कोविड से पहले 2020 में देश भर में हुए विरोध-प्रदर्शनों की वजह बढ़ती ग़रीबी और आर्थिक असमानता थी. यह मुद्दे कई बार सर उठाते हैं.

जनवरी में लोग फिर सड़कों पर उतर आए थे जब सरकार ने रिटायरमेंट की आयु 62 साल से बढ़ा कर 64 कर दी थी. इमैनुएल मैक्रों नें प्रस्ताव पीछे लेने से इंकार कर दिया.

रेनबो मरे का कहना है, ”राजनीति में आने से पहले वो पहले बैंकिंग क्षेत्र में थे. जनता उन्हें धनी लोगों के प्रतिनिधि के तौर पर देखती है और सोचती है कि उनकी नीतियां अमीरों के हित में होती हैं. उनकी छवि एक ऐसे बुद्धिमान नेता की है जो जनता से जुड़ने की विशेष कोशिश नहीं करता है.”

ये ओलंपिक खेल ऐसे समय पर हो रहे हैं जब देश राजनीतिक मुद्दों पर बंटा हुआ है.

अब लौटते हैं मुख्य प्रश्न की ओर कि क्या पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों के आयोजन के लिए तैयार हो चुका है?

पेरिस ऐसा शहर है जहां दुनिया में सबसे अधिक लोग आते हैं. पेरिस की जनता में बड़ी संख्या में लोगों का आगमन कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन अभी यातायात के साधनों जैसी कई तैयारियां पूरी होनी बाकी हैं.

पेरिस ओलंपिक के दौरान ध्यान केवल खेलों पर ही नहीं बल्कि पर्यावरण और सामाजिक समानता पर भी होगा. हमारे एक्सपर्ट मानते हैं कि ओलंपिक खेल अपने आप में महत्वपूर्ण तो हैं लेकिन वो एक अच्छे समाज के निर्माण की प्रक्रिया की शुरुआत भी हैं जिसे पूरा करने के लिए कई सामाजिक सुधारों की ज़रूरत पड़ेगी.