शिमला, 17 दिसंबर : वर्तमान मानसून में आई आपदा के दौरान, राज्य में आवास क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा है। राज्य सरकार ने राहत एवं पुनर्वास उपायों के लिए विभिन्न पहल की हैं। सरकार द्वारा पुनर्निर्माण प्रक्रिया में ‘बिल्ड बैक बैटर’ का पालन करने के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क द्वारा सुझाई गई रणनीतियों को ग्रामीण निर्माण के सभी स्तरों पर अपनाया जा रहा है।
प्रवक्ता ने बताया कि इस क्षेत्र में काम करने वाले प्रख्यात शोधकर्ता मुख्य वैज्ञानिक डॉ. अजय चौरसिया, सीबीआरआई रूड़की से वैज्ञानिक-ई आशीष पीपल, एवं तकनीकी अधिकारी एचके जैन, एनआईटी हमीरपुर से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हेमंत विनायक प्रतिभागियों से साथ संवाद करेंगे। उन्होंने बताया कि राज्य में आपदा प्रतिरोधी वातावरण तैयार करने के दृष्टिगत विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं, ताकि आपदा उपरांत इसके प्रभावों को न केवल कम किया जा सके बल्कि बहुमूल्य मानव जीवन भी बचाया जा सके।
सरकार द्वारा पहले ही जिला प्रशासन को खराब नींव, ढीली/अस्थिर मिट्टी पर निर्माण, खड़ी ढलानों और भूकंप जैसे खतरों के लिए कमजोर निर्माण इत्यादि को कम करने के निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने गृह मालिकों से विविध खतरा प्रतिरोधी संरचनाओं का निर्माण करने की भी अपील की, ताकि भूकम्प और भू-स्खलन प्रतिरोधी भवनों का निर्माण किया जा सके। खंड स्तर के तकनीकी अधिकारियों को भवन निर्माण के विभिन्न स्तरों जैसे नींव चरण, खिड़की की स्थापना पर उचित निगरानी रखने की सलाह भी दी है।