पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत प्रदेश सरकार हरित ऊर्जा को बढ़ावा देते हुए सतत् विकास की अवधारणा को साकार कर रही है। ऊना जिला के पेखूबेला में प्रदेश के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना इसी दिशा में एक सार्थक कदम है। इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना को दो माह में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।
हिमाचल को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य बनाने की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए 59 हेक्टेयर में स्थापित होने वाली इस परियोजना में 82,656 सौर मॉड्यूल स्थापित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 2 दिसंबर, 2023 को 32 मेगावाट की इस सौर ऊर्जा परियोजना की आधारशिला रखी और फरवरी, 2024 के पहले सप्ताह तक इसे पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में यह परियोजना सहायक सिद्ध होगी। इस परियोजना को स्थापित होने से राज्य की विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति होने के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन में भी उल्लेखनीय कमी आएगी।
पेखुबेला सौर परियोजना का कार्य 19 मई, 2023 को अवार्ड किया गया था। इससे वार्षिक 66.10 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन किया जाएगा। यहां पर उत्पादित बिजली 1.88 किलोमीटर लम्बी रक्कड़-टाहलीवाल 132 केवी डबल सर्किट लाइन के माध्यम से पारेषित की जाएगी। इसके लिए लाइन-इन, लाइन-आउट तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड राज्य में आगामी दो वर्षों में 500 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य के साथ कार्य कर रहा है। सरकार द्वारा 200 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं के लिए धन की व्यवस्था कर दी गई है। साथ ही अतिरिक्त 40 मेगावाट के लिए निविदा प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसके अलावा 100 मेगावाट की अन्य सौर ऊर्जा परियोजनाएं प्रारंभिक चरण में हैं।
वर्तमान में जल-विद्युत और सौर ऊर्जा परियोजनाओं में एचपीपीसीएल की कुल क्षमता 3,275 मेगावाट है। 281 मेगावाट क्षमता की चार परियोजनाएं पूर्ण होने के चरण में है जबकि कुल 690 मेगावाट की अतिरिक्त पांच परियोजनाएं वर्तमान में निर्माणाधीन हैं। 272 मेगावाट की चार परियोजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को स्वीकृति प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त 926 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाली दस परियोजनाओं के लिए अन्वेषण कार्य जारी है।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना के दूसरे चरण में प्रदेश सरकार हरित ऊर्जा को रोजगार सृजन के साथ जोड़ेगी। इसके तहत राज्य के युवाओं को 100 किलोवाट से एक मेगावाट क्षमता तक की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने के लिए 40 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाएगी। यह नवोन्मेषी पहल न केवल हरित ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वरोजगार स्थापित करने की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देगी।