स्कन्द विवेक धर, नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजारों में पिछले दो साल से आ-जा रहे विदेशी निवेशकों ने दिसंबर माह में जोरदार वापसी दर्ज कराई है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस एक महीने में 66 हजार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश कर दिया, जो अब तक का रिकॉर्ड है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल ब्याज दरों में कटौती के बाद देश में विदेशी निवेश का यह रिकॉर्ड भी टूट जाएगा।

विदेशी पूंजी को घरेलू बाजार में निवेश करने वाले व्यक्तियों या संस्थाओं को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) के रूप में जाना जाता है। एफपीआई में दुनियाभर के केंद्रीय बैंक, सॉवरेन वेल्थ फंड, म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस और रिइंश्योरेंस कंपनियां, पेंशन फंड, कॉर्पोरेट निकाय, ट्रस्ट और हाई नेटवर्थ वाले लोग शामिल होते हैं। भारत में निवेश करने के लिए उन्हें बाजार नियामक सेबी के पास खुद को रजिस्टर करना होता है। इन्हें साल 1992 में भारतीय बाजार में निवेश की अनुमति मिली थी। तब उन्हें विदेशी संस्थागत निवेशक या एफआईआई कहा जाता था। 2014 से इन्हें एफपीआई कहा जाने लगा।

भारतीय शेयर बाजार में एफपीआई ने 56.23 लाख करोड़ रुपए निवेश कर रखे हैं, जो कि घरेलू म्यूचुअल फंड्स के कुल निवेश से अधिक है। एफपीआई की चाल बाजार की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऐसे में एफपीआई की भारतीय बाजारों में जबरदस्त वापसी को निवेशक भारतीय बाजार के लिए सकारात्मक मान रहे हैं।

एसएसजे फाइनेंस एंड सिक्योरिटीज के सीनियर एनालिस्ट आतिश मातलावाला कहते हैं, कोविड के बाद एफआईआई भारतीय बाजार में बिकवाली कर रहे थे। एफआईआई ने साल 2021 में करीब 92,000 करोड़ रुपये और 2022 में करीब 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपए की इक्विटी बेची थी। साल 2023 में भी एफआईआई विक्रेता थे, हालांकि उन्होंने केवल 16,000 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची। अब वह जोरदार तरीके से वापसी कर रहे हैं।

 

तीन साल बाद आखिर विदेशी निवेशकों ने दोबारा भारत का रुख क्यों किया? इस सवाल के जवाब में मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ के वाइस प्रेसिडेंट अभिषेक भट्ट कहते हैं, घटती बॉन्ड यील्ड एफपीआई के रिटर्न का सबसे बड़ा कारण रही है। कुछ समय पहले तक 5% चल रहा बॉन्ड यील्ड अब घट कर 3.96% हो गया है। तो जाहिर है कि बेहतर रिटर्न की तलाश में वे भारत की ओर आ रहे हैं।

मातलावाला इस तेजी के दो और कारण बताते हैं। पहला, भारत का दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था होना और दूसरा, मौजूदा सरकार के तीसरी बार सत्ता में लौटने की संभावना। दिसंबर में आए पांच विधानसभा चुनावों के परिणाम में भाजपा को मिली बढ़त से यह सेंटीमेंट बना।

विदेशी निवेशकों की वापसी भारतीय बाजारों को नए पंख लगा सकती है। भट्ट कहते हैं, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में कटौती के संकेत के साथ 2024 में एफपीआई निवेश आसमान छूने लगेगा। बाजार पहले से ही बुल रन के दौर से गुजर रहे हैं। इसमें बीच-बीच में थोड़ी गिरावट देखने को मिलेगी, लेकिन लंबी अवधि में एफपीआई का निवेश बाजार में नए पैसे का प्रवाह करेगा और बाजार नई ऊंचाईयां देखते रहेंगे।

मातलावाला भी भट्ट की बात से इत्तेफाक रखते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 3 वर्षों में जब विदेशी निवेशक बिकवाली कर रहे थे, तब घरेलू निवेशकों ने जबरदस्त तरीके से निवेश किया। नतीजा ये हुआ कि बाजार गिरने के बजाय नई ऊंचाई पर पहुंच गया। अब हमें उम्मीद है कि एफपीआई के जरिए प्रति वर्ष तकरीबन 85 हजार करोड़ रुपए और म्यूचुअल फंड के माध्यम से लगभग 1.50 लाख करोड़ रुपए सालाना अगले 2-3 वर्षों तक बाजार में आएंंगे, इसके भरोसे बाजार नई ऊंचाई बनाना जारी रखेगा।