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छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय आज अपने मंत्रिपरिषद का विस्तार करने वाले हैं. शुक्रवार को नौ मंत्री शपथ लेंगे.
इससे पहले 13 दिसंबर को विष्णुदेव साय ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. पहली बार के विधायक विजय शर्मा और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को उप मुख्यमंत्री बनाया गया था.
पहले भी मंत्री रह चुके जिन विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी, उनमें रामविचार नेताम, बृजमोहन अग्रवाल, केदार कश्यप और दयालदास बघेल शामिल हैं.
इसके अलावा आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आकर पहली बार विधायक बने ओपी चौधरी भी मंत्री पद की शपथ लेंगे.
मंत्री पद की शपथ लेने वालों में लक्ष्मी राजवाड़े, लखनलाल देवांगन और श्यामबिहारी जायसवाल भी शामिल हैं.
कभी थे जिनके पीए, आज उनके साथ बनेंगे मंत्री
इन आठ नेताओं के अलावा पहली बार के विधायक टंकराम वर्मा भी मंत्री बनने जा रहे हैं.
शिक्षक की नौकरी करते हुए टंकराम वर्मा लंबे समय तक कई मंत्रियों और सांसद के पीए यानी निजी सहायक रह चुके हैं.
वे महाराष्ट्र के मौजूदा राज्यपाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश बैस के अलावा कांग्रेस की दिवंगत नेत्री करुणा शुक्ला के पीए रह चुके हैं.
दिलचस्प बात ये है कि वे इस सरकार में भी मंत्री बनने जा रहे दयालदास बघेल और केदार कश्यप के पीए रह चुके हैं.
किन नेताओं को नहीं मिलेगी जगह
केंद्र की मोदी सरकार में जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिंह और सांसद गोमती साय को हालाँकि इस मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिल रही है.
रमन सिंह के कार्यकाल में मंत्री रहे अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर, धरमलाल कौशिक, राजेश मूणत जैसे नेता भी विष्णुदेव साय मंत्रिपरिषद में जगह नहीं बना पाए हैं.
90 विधायकों की विधानसभा वाले छत्तीसगढ़ में अधिकतम 13 मंत्री बनाए जा सकते हैं. आज के विस्तार के बाद केवल एक मंत्री की ही जगह खाली रहेगी.
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ईडी का समन मिलने पर तेजस्वी यादव का तंज़, कहा- जांच एजेंसियां करें भी तो क्या, उन पर तो…
Copyright: ANIज़मीन के बदले नौकरी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से पूछताछ का समन मिलने पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने तंज़ कसते हुए कहा है कि इन एजेंसियों की क्या ग़लती है, उन पर तो सरकार का प्रेशर है.
तेजस्वी यादव ने एएनआई से कहा, ”ये बेचारी एजेंसियां करे भी तो क्या, उन पर भी दबाव है. अब ये तो रूटीन है और ये तो चलता ही रहेगा.”
उनके अनुसार, “हम तो जाते रहे हैं हमेशा, ये तो रूटीन है. हम पहले भी जा चुके हैं. 2017 से 2023 तक लगातार हम गए, चाहे ईडी या इनकम टैक्स या सीबीआई ने बुलाया हो.”
यादव ने कहा, “हम तो पहले ही बोले थे आप लोगों को कि एजेंसी वालों की क्या गलती है, उन पर तो प्रेशर है. लेकिन एक बात तो पहले से तय थी. हमारा कहना सच भी हो गया कि तीन राज्यों में चुनाव ख़त्म हो जाने के बाद एजेंसियां बिहार, झारखंड और दिल्ली में काम करेंगी.”
लालू प्रसाद यादव पर 2004 से 2009 के बीच रेलमंत्री रहने के दौरान लोगों की ज़मीन लेकर नौकरी देने का आरोप है.
उनके साथ इस मामले में तेजस्वी यादव के साथ उनकी मां राबड़ी देवी भी सह अभियुक्त हैं.
4 अक्टूबर, 2023 को अदालत ने इस मामले में इन तीनों को ज़मानत दे दी गई थी.
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संसद का शीतकालीन सत्र कामकाज के लिहाज से कैसा रहा?
संसद का शीतकालीन सत्र तय समय से एक दिन पहले गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया.
इस साल का यह आख़िरी सत्र चार दिसंबर से शुरू हुआ था और इसे शुक्रवार यानी 22 दिसंबर तक चलना तय था.
लेकिन संसद की सुरक्षा में सेंध लगने के बाद विपक्षी सांसदों के हंगामे के बाद 146 सांसदों के निलंबन से यह सत्र चर्चा में बना रहा.
कैसा रहा शीतकालीन सत्र
इस सत्र में लोकसभा ने कुल 18 तो राज्यसभा ने 17 विधेयक पारित किए.
प्रमुख विधेयकों में तीन आपराधिक विधेयकों (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम) के साथ जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (दूसरा संशोधन) विधेयक, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति विधेयक, दूरसंचार विधेयक, डाकघर विधेयक, प्रेस और पीरियोडिकल्स रजिस्ट्रेशन विधेयक आदि प्रमुख रहे.
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बताया कि इस सत्र के दौरान लोकसभा की उत्पादकता 74 प्रतिशत रही.
इस सत्र में निचले सदन की कुल 14 बैठकों के दौरान क़रीब 62 घंटे की कार्यवाही हुई.
उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान 55 तारांकित प्रश्नों के मौखिक जवाब दिए गए. नियम 377 के तहत कुल 265 मामले उठाए गए. लोकसभा की स्थायी समितियों ने कुल 35 रिपोर्टें पेश कीं.
निर्देश 73ए के तहत 33 बयान और संसदीय कार्य से संबंधित कुल 34 बयान दिए गए. उन्होंने बताया कि लोकसभा के पटल पर 1,930 कागज़ात रखे गए.
राज्यसभा
वहीं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि शीतकालीन सत्र के दौरान उच्च सदन की उत्पादकता 79 प्रतिशत रही.
इस सत्र में उच्च सदन ने कुल 14 बैठकों के दौरान क़रीब 65 घंटे तक काम किया और 2,300 से अधिक सवालों के जवाब दिए गए. इस दौरान 4,300 से अधिक कागज़ात पटल पर रखे गए.
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संसद का शीतकालीन सत्र तय समय से एक दिन पहले ख़त्म
पहले संसद की सुरक्षा में सेंध लगने और फिर विपक्ष के हंगामे के बाद सांसदों के निलंबन से गरम रहा संसद का शीतकालीन सत्र गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया.
हालांकि संसद का यह सत्र शुक्रवार तक चलना था, लेकिन तीनों आपराधिक विधेयक राज्यसभा से पारित होने के बाद इसे एक दिन पहले ही स्थगित करने का एलान किया गया.
संसद के इस साल का यह आख़िरी सत्र चार दिसंबर से शुरू हुआ था और इसे शुक्रवार यानी 22 दिसंबर तक चलना तय था.
हालांकि जानकारों की राय में इस सत्र के शुरू होने के एक दिन पहले तीन राज्यों में बीजेपी को मिली जीत के बाद लगा था कि यह सत्र शांतिपूर्ण तरीक़े से गुजरेगा. लेकिन 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में सेंध लगने के बाद पूरा माहौल ही बदल गया.
इस बारे में चर्चा कराने और प्रधानमंत्री या गृह मंत्री के बयान की मांग करते हुए विपक्ष ने दोनों सदनों की कार्यवाही चलने नहीं दी.