शास्त्रों में कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन गायों को भोजन खिलाता है, उनकी सेवा करता है तथा सायं काल में गायों का पंचोपचार विधि से पूजन करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। आज सोलन की आश्रय गौशाला में गोअष्टमी के दिन स्वास्थ्य मंत्री द्वारा विधि विधान से गोष्टमी की पूजा की गई बातचीत के दौरान कर्नल डॉक्टर धनीराम शांदिल ने बताया कि गाय को हिन्दू मान्यताओं में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। गाय को गोमाता भी कहा जाता है, गाय को मां का दर्जा दिया गया है। जिस प्रकार एक मां अपनी संतान को हर सुख देना चाहती है, उसी प्रकार गौ माता भी सेवा करने वाले जातकों को अपने कोमल हृदय में स्थान देती हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं।
ऐसी मान्यता है कि गोपाष्टमी के दिन गौ सेवा करने वाले व्यक्ति के जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता।
गाय माता का दूध, घी, दही, छाछ और यहां तक कि उनका मूत्र भी स्वास्थ्यवर्धक होता है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि हम गौ माता के ऋणी हैं और हमें उनका सम्मान और सेवा करनी चाहिए। पौराणिक कथाओं में यह व्याख्या है कि किस तरह से भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं में गौ माता की सेवा की है।