आज हम आपके लिए एक ऐसे शख़्स की कहानी लेकर आये हैं, जिसने पहले पुलिस फ़ोर्स का हिस्सा बन देश की सेवा की. फिर किसानी कर खेती-किसानी को बढ़ावा दिया. ये कहानी है गुजरात पुलिस के पूर्व DSP रहे पार्थीभाई चौधरी की. गुजरात के बनास कांठा के रहने वाले पार्थीभाई पुलिस फ़ोर्स से रिटायर होने के बाद खेती शुरू की.
उन्होंने शुरुआत आलू की खेती से की और अब उन्हें इतना मुनाफ़ा हो रहा है कि वो सालाना 3 करोड़ से ज़्यादा की कमाई करते हैं. आज उनके पास कई किसान टिप्स लेने आते हैं. वन इंडिया की इस रिपोर्ट के अनुसार, पार्थीभाई ने न सिर्फ़ आलू की खेती में मुनाफ़ा कमाया, बल्कि इसके उत्पादन में वर्ल्ड रिकॉर्ड तक बना लिया.
ये है पार्थीभाई की कहानी
62 वर्षीय पार्थीभाई एक किसान के बेटे हैं. उन्होंने 1981 से लेकर साल 2015 तक गुजरात पुलिस में काम किया और DSP के पद से रिटायर हुए. उसके बाद से ही उन्होंने आलू की खेती पर ज़ोर देना शुरू किया और कीर्तिमान स्थापित करते चले गए.
कैसे आया आलू की खेती का विचार?
वन इंडिया की ही इस रिपोर्ट में बताया गया कि 2003 में पार्थीभाई के पिता ने अपनी ज़मीन का बंटवारा पांचों भाइयों के बीच किया. पार्थीभाई के हिस्से जो ज़मीन आई, उसमें वो कुछ अलग करना चाहते थे. प्रगतिशील किसानों के खेतों पर जाकर उनसे आधुनिक खेती के गुर सीखने लगे. फिर आलू की खेती पर आकर तलाश पूरी हुई.
उन्होंने खेती का काम 2004 से शुरू कर दिया था, जब वो फ़ोर्स में ही थे. छुट्टी में उन्हें जितना समय मिलता, वो खेती पर ध्यान लगाते. उन्होंने अकेले 5 एकड़ ज़मीन में खेती शुरू की. मुनाफ़ा होता गया तो वो आस-पास की ज़मीन भी ख़रीदते गए. आज उनके पास 87 एकड़ की खेती है, जहां वो आलू ही उगाते हैं. उनके खेतों में 16 परिवारों को काम दिया गया है. आलू के अलावा वो बाजरे, मूंगफली की फ़सल भी उगाते हैं.
बनास कांठा को आलू के लिए मशहूर कर दिया
खेती में उनकी मेहनत और दिमाग़ ने उनके ज़िले बनासकांठा भारत में आलू की खेती का हब बना दिया. देशभर में छह फीसदी आलू का उत्पादन बनासकांठा में ही होता है. यहां करीब 1 लाख किसान आलू की खेती कर रहे हैं.
आलू की खेती में तोडा नीदरलैंड का रिकॉर्ड
इस वक़्त दुनिया में पैर हेक्टेयर सबसे ज़्यादा आलू उगाने का रिकॉर्ड पार्थी भाई के पास ही है. उनसे पहले यह रिकॉर्ड नीदरलैंड के एक किसान के नाम था, जिसने प्रति हेक्टेयर 84 मीट्रिक टन आलू उगाये थे. यह रिकॉर्ड तोड़ने के बाद पार्थी भाई का नाम फ़ोर्ब्स की लिस्ट में भी शामिल हुआ था.
पार्थी भाई की कहानी मेहनत, दृढ़ निश्चय की कहानी है. उनकी सफलता ने कई परिवारों को रोज़गार देने और कई किसानों बढ़ावा देने का काम किया है.