गजब संकट: क्यों नहीं हो रही यहां के सैकड़ों युवाओं की शादी? दुल्हन पाने के लिए निकालेंगे पदयात्रा

अपने अधिकारों की मांग के लिए मार्च निकालना और प्रदर्शन करना आम बात है. युवाओं से लेकर आम नागरिकों तक हर कोई नौकरी और अन्य मांगों के लिए मार्च निकालते हैं लेकिन क्या आपने शादी के लिए किसी को मार्च निकालते देखा है? नहीं देखा तो कर्नाटक की एक खबर आपको हैरान कर सकती है.

शादी नहीं होने पर युवा निकाल रहे हैं मार्च

जी हां, कर्नाटक के एक जिले मांड्या के युवाओं ने शादी के लिए मार्च निकाला है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस जिले में कई ऐसे इलाके हैं जहां कुंवारे युवकों को शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रही हैं. युवाओं की उम्र शादी करने लायक हो गई है लेकिन उन्हें शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रही हैं. इसके पीछे भी एक बड़ा कारण है.

क्यों नहीं हो रही मांड्या के युवाओं की शादी?

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दरअसल, इस जिले के गांवों के अधिकांश युवा पूरी तरह से कृषि पर निर्भर हैं. गांव में रहने वाले ये युवा, ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े हैं. इनका शहरी चमक-दमक से कोई नाता नहीं रहा. वहीं दूसरी तरफ लड़कियां और उनके घरवाले एक किसान की बजाए गारंटीकृत वेतन वाले प्रोफेशनल नौकरी वाले युवाओं से ही अपनी बेटियों की शादी करना चाहते हैं. कई युवा ऐसे हैं जिनके लिए सालों से दुल्हन खोजी जा रही है लेकिन उनकी शादी के लिए अभी तक कोई लड़की नहीं मिली.

क्या है पदयात्रा निकालने का उद्देश्य?

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन युवाओं के लिए जहां भी शादी के प्रस्ताव भेजे गए इन्हें अस्वीकृति ही मिली. इसी से आहत मांड्या के इन अविवाह यवाओं ने पदयात्रा निकालने का फैसला लिया है. इन युवाओं की उम्र 30 वर्ष से अधिक हो गई है, जो शादी के लिए पर्याप्त मानी जाती है. युवाओं ने आदिचुंचनगिरी मठ-एक प्रभावशाली वोक्कालिगा संस्थान में दो उद्देश्यों के साथ पदयात्रा करने का फैसला किया है. उनका उद्देश्य यह है कि पदयात्रा से वह सरकार तक संदेश भेजना चाहते हैं कि उनकी स्थितियों पर हस्तक्षेप करें, वहीं दूसरा उद्देश्य यह भी है कि लोगों में जागरूकता पैदा की जा सके.

युवाओं की क्या है मांग?

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इससे पहले भी ये युवा पदयात्रा निकाल चुके हैं. TOI के अनुसार संतोष भी उन सैकड़ों लोगों में से हैं जिनकी उम्र ज्यादातर 30 साल से अधिक है. इन्होंने फरवरी में चामराजनगर जिले के एमएम हिल्स मंदिर तक ट्रैकिंग की थी. संतोष ने TOI को बताया कि, वे कोई दहेज नहीं मांग रहे. वे अपनी होने वाली दुल्हनों की रानियों की तरह देखभाल करेंगे.’

संतोष का कहना है कि, ‘हम बिना दहेज शादी करने को तैयार हैं लेकिन इसके बावजूद कोई भी परिवार उन्हें अपनी बेटियां देने के लिए तैयार नहीं है. उन्होंने इस समस्या के बारे में समाज में जागरूकता पैदा करने के लिए यह पदयात्रा निकाली है. दिसंबर में, मांड्या के कुंवारे लोगों ने अखिल कर्नाटक ब्रह्मचारिगला संघ के बैनर तले आदिचुंचनगिरी मठ तक मार्च करने की योजना बनाई है.

मांड्या के ही एक अन्य युवक गिरिमल्लू ने कर्नाटक सरकार से खेती में लगे युवाओं के लिए ‘ब्राइड भाग्य’ सुनिश्चित करने के लिए एक कार्य योजना की घोषणा करने का आग्रह किया है. उनका कहना है कि उनके गांवों में, सैकड़ों युवाओं ने इस कभी न खत्म होने वाले संकट के कारण शादी के सपने देखना बंद कर दिया है.

फरवरी वॉकथॉन के बाद, अखिला कर्नाटक ब्रह्मचारिगला संघ के संस्थापक केएम शिवप्रसाद ने कहा कि लोग दुल्हन खोजने की चुनौतियों के बारे में अधिक जागरूक हैं, लेकिन दुल्हन और उनके परिवारों की मानसिकता में कोई स्पष्ट बदलाव नहीं आया है. एकमात्र परिणाम यह है कि यह मुद्दा ड्राइंग-रूम चर्चा का विषय बन गया है, और इससे आने वाले वर्षों में समाधान मिल सकता है.