भारतीयों की हर सब्जियों का राजा ‘आलू’ है, जिसे कई प्रकार के व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है. भारत में इसकी पैदावार भी बहुत है. इसके बिना रसोई में बनाई जाने वाली कई सब्जियां अधूरी हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं आलू भारत का नहीं, बल्कि दूसरे देश से आया और भारतीयों के बीच काफी लोकप्रिय बन गया.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार 8,000 साल पहले दक्षिण अमरीका के एंडीज़ में आलू की खेती शुरू की गई थी. 1500 के बाद इसे यूरोप लाया गया.
वहीं अमरीका में इदाहो के किसान और इटली के लोग आलू पर उतना ही दावा करते हैं जितना पेरूवासी.
बहरहाल, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 16वीं शताब्दी तक आलू को पेरू के लोग जानते थे. इससे कई अनजान थे. पेरू की राजधानी लीमा के एक उपनगर में बनाए गए इस केंद्र में हज़ारों तरह के आलू के नमूने मिलते हैं.
आलू कैसे पहुंचा भारत?
दावा किया जाता है कि आलू की खेती कैरेबियन द्वीप पर शुरू हुई थी. तब इसे कमाटा और बटाटा कहा जाता था. 16वीं सदी में बटाटा स्पेन पहुंचा. वहां से यूरोप पहुंचने के बाद बटाटा का नाम पटोटो हो गया. एक रिपोर्ट के अनुसार कोलंबस जब पूरी दुनिया की यात्रा पर निकला तब वह अपने साथ आलू को अलग-अलग महाद्वीपों तक लेकर गया. हालांकि दावा किया जाता है कि भारत में आलू पुर्तगाली और डच व्यापारियों ने अपने साथ लाए थे.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटिश द्वीपों से आलू पूरब की ओर बढ़ा और उत्तरी यूरोप तक फैल गया. 1650 तक आलू बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्जमबर्ग तक पहुंच गया. 1740 तक जर्मनी, प्रूशिया और पोलैंड तक और 1840 तक आलू रूस पहुंच गया.
भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी ने 18वीं शताब्दी में आलू उगाने की नीति अपनाई. धीरे-धीरे आलू अधिकतर किसानों के खेतों में उगाई जाने वाली एक फसल बन चुकी थी.
हालांकि, भारत में आलू को बढ़ावा देने का श्रेय वारेन हिस्टिंग्स को जाता है, जो 1772 से 1785 तक भारत के गर्वनर जनरल रहे थे.
आज आलू चावल, गेंहू और मक्का के बाद दुनिया की चौथी सबसे अहम फसल बन गई है.