LED बल्ब खराब होने के बाद हम उसे अक्सर कचरे में ही डाल देते हैं और दूसरा बल्ब खरीदकर लगा लेते हैं. खराब बल्बों से कितना इलेक्ट्रिक वेस्ट जमा होता है इस बारे में हम सभी जानते हैं. पर्यावरण को भी बहुत नुकसान पहुंचता है. सवाल ये उठता है कि खराब LED बल्ब को अगर फेंके नहीं तो क्या करें? केरल की कुछ महिलाओं ने इसका जवाब ढूंढ लिया है.
केरल की महिलाओं ने खोली LED क्लिनिक
Open Digest
The New Indian Express के एक लेख के अनुसार, केरल की कुछ महिलाओं ने पर्यावरण से इलेक्ट्रिक वेस्ट कम करने का तोड़ निकाल लिया है. केरल की पांच महिलाओं ने मिलकर LED क्लिनिक खोला है जहां खराब LED बल्ब ठीक किए जाते हैं. ये महिलाओं को लोगों से खराब बल्ब न फेंकने की की और उनके क्लिनिक लाने की दरख्वास्त करती हैं.
इस वजह से शुरू किया क्लिनिक
मुलांथुरुथी के पास थुरुथिक्करा में एक रूलर साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी सेंटर है. इस सेंटर की एक्ज़ेकेटिव डायरेक्टर, थंकचन पी ए ने बताया कि थुरुथिक्करा पंचायत में कार्बन फूटप्रिंट्स कम करने की चर्चा हो रही थी और उपाय सोचे जा रहे थे. कार्बन फूटप्रिंट्स कम करने की सोच के साथ ही 2017 में क्लिनिक की शुरुआत हुई. तब से लेकर आजतक क्लिनिक में खराब LED बल्ब लेकर आने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है.
थंकचन ने ये भी बताया कि आस-पास की अन्य संस्थाएं भी इस तरह के क्लिनिक खोलने पर विचार-विमर्श कर रही है. केरल इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल एडमिनिस्ट्रेशन अन्य पंचायतों में भी इस तरह के क्लिनिक्स खोलने वाली है.
नए बल्ब भी बनाते हैं
TNIE
Open Digest के अनुसार, अनिता प्रमोद, दीपा बाबू, राधा वेणुगोपाल, सौम्या रतीश और प्रमीला गिरीश ने लोकल सेल्फ-गवर्मेंट बॉडी से ट्रेनिंग ली और अपना क्लिनिक खोल लिया. क्लिनिक में काम करने वाली दीपा बाबू ने बताया कि हर महीने कम से कम 50 खराब LED बल्ब आते हैं. एक बल्ब ठीक करने में 40 रुपये का खर्च आता है. ये महिलाएं नए बल्ब भी बनाती हैं, जिनकी कीमत 100 रुपये है.ज़रा सोचिए अगर हर LED बल्ब रिपेयर किया जा सके तो देश में जमा होने वाला इलेक्ट्रिक वेस्ट कितना कम हो जाएगा.