देश और प्रदेश में 14,597 स्कूलों को आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित करने के लिए प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (Pradhan Mantri Schools for Rising India) यानी पीएम-श्री योजना शुरू कर दी गई है। देश के साथ-साथ हिमाचल के स्कूल भी इसमें मॉडल बन पाएंगे, जिस पर 27,360 करोड़ रुपये का खर्च होगा।
इस योजना में इन स्कूलों में केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय सहित राज्यों एवं स्थानीय निकायों द्वारा संचालित सरकारी स्कूल शामिल होंगे। प्रधानमंत्री की इस योजना से करीब 18 लाख स्टूडेंट्स (18 lakh students) को फायदा होगा। पीएम-श्री स्कूल योजना को -2027 तक पांच साल की अवधि में लागू किया जाएगा। इसमें बच्चों को ये फायदा होगा कि बच्चों को 10 दिन बिना बैग के स्कूल आने का प्रयोग भी शुरू होगा। इसके साथ ही स्कूलों में बच्चों की सुविधा के लिए हाई टेक लैब (High tech Lab) भी शुरू होगी। पायलट परियोजना के आधार पर पीएम-श्री स्कूलों में विद्या समीक्षा केंद्र की शुरुआत की जाएगी। इसके लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा जिस पर हर स्कूल के हर छात्र के प्रदर्शन का ब्यौरा होगा। इसके लिए पांच वर्ष में हर स्कूल को दो करोड़ रुपये दिए जाएंगे।
वहीं, पहली बार केंद्र से स्कूलों को सीधा फंड दिया जाएगा जो 40 फीसदी तक हो सकता है। इसकी निगरानी की भी उचित व्यवस्था की जाएगी। इसमें नई शिक्षा नीति (new education policy) के तहत सभी स्कूल आदर्श स्कूलों के रूप में काम करेंगे। इसके तहत स्कूलों को ऑनलाइन पोर्टल (online portal) पर स्वयं आवेदन करना होगा। इस योजना के पहले दो सालों के दौरान, पोर्टल को वर्ष में चार बार यानी प्रत्येक तिमाही में एक बार खोला जाएगा। खास बात यह है कि ये सभी स्कूल सरकारी होंगे, जिनका चयन राज्यों के साथ मिलकर किया जाएगा। ये सभी मॉडल स्कूल (model school) बनेंगे और इनमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) की पूरी भावना समाहित होगी।
मिलेंगी बेसिक सभी सुविधाएं
इसके लिये राज्य सरकार (state government) भी स्कूलों के लिये नामांकन कर सकते हैं। स्कूलों के चयन के लिये 60 मानक निर्धारित किये गए हैं। जिसमें पक्की इमारत, (building) पेयजल सुविधा, लड़के-लड़कियों के लिये अलग अलग शौचालय, (toilet) खेल का मैदान, (Playground) दिव्यांग बच्चों के लिए सुविधाएं आदि शामिल हैं।
रोजगार बढ़ाने पर होगा जोर
स्कूल मार्गदर्शन प्रदान करके अन्य स्कूलों को उनके संबंधित क्षेत्रों में नेतृत्व प्रदान करेंगे। रोजगार बढ़ाने के लिए क्षेत्र कौशल परिषदों और स्थानीय उद्योगों के साथ जोड़ा जाएगा। इसमें सोलर पैनल एवं एलईडी लाइट, प्राकृतिक खेती के साथ पोषण गार्डन, कचरा प्रबंधन, प्लास्टिक मुक्त परिसर, जल संरक्षण एवं संचय, पर्यावरण की सुरक्षा से संबंधित परंपराओं जैसी पर्यावरण अनुकूल पहलुओं को शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही स्कूलों की जियो टैगिंग भी होगी।