कहानी उस बाहुबली पहलवान की, जिसने कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को पहली बार दिलाया था मेडल

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कॉमनवेल्थ गेम्स को लेकर कई देश अपना दमखम दिखाने को तैयार है. 28 जुलाई से बर्मिंघम में शुरू होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के भी कई खिलाड़ी-एथलीट हिस्सा लेंगे. देशवासियों को उम्मीद है कि भारत के लिए मेडल लाकर देश का नाम रोशन करेंगे.

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कौन था वह धाकड़ पहलवान जिसने कॉमनवेल्थ में देश को पहला मेडल दिलाया?

लेकिन क्या आप उस बाहुबली पहलवान को जानते हैं, जिसने कॉमनवेल्थ गेम्स में पहली बार भारत को मेडल दिलाया था. उस धाकड़ पहलवान का नाम राशिद अनवर है. जिन्होंने वेल्टरवेड में तृतीय स्थान प्राप्त करते हुए भारत को कांस्य पदक दिलवाया था.

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दरअसल, कॉमनवेल्थ गेम्स की शुरुआत साल 1930 में हुई. जिसे उस वक्त ब्रिटिश इम्पायर गेम्स के नाम से जाना जाता था. पहली बार कनाडा में इसका आयोजन हुआ. लेकिन भारत ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लिया था.

फिर दूसरा ब्रिटिश इम्पायर गेम्स लंदन में आयोजित हुआ. तब भारत ने पहली बार इसमें हिस्सा लिया और तभी भारत को पहला मेडल भी मिला. जो रेसलर राशिद अनवर ने दिलवाया था.

रेलवे में करते थे नौकरी

पहलवान राशिद अनवर का जन्म 12 अप्रैल 1910 में हुआ. वह भारतीय रेलवे में नौकरी करते थे. उनकी पोस्टिंग लखनऊ में थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 8 बार से अधिक वेल्टरवेट कैटेगरी में राष्ट्रीय चैंपियन रहे. साल 1936 में बर्लिन ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया. उस प्रतियोगिता के दूसरे राउंड तक पहुंचे, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

इसके बाद वे और भी कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिए. राशिद ने मौजूदा चैंपियन रेसलर नॉर्मन मोरेल और बिली रिले को हराया था.

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साल 1940 ओलंपिक में राशिद को देश के लिए मेडल लाने वाले रेसलर के तौर पर प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के चलते यह आयोजन नहीं हो सका. उस समय राशिद ने एम्बुलेंस ड्राइवर की सेवाएं दीं.

कुछ सालों के ब्रेक के बाद साल 1959 में एक बार फिर रेसलिंग की दुनिया में उन्होंने वापसी की. उस दौरान भी कई बड़े रेसलर को हराया. फिर 1973 में भारत के धाकड़ पहलवान राशिद ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया और सुपुर्दे खाक हो गए. लेकिन देश के लिए उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता.