ज़िद हम सब में है, हम सब कभी ना कभी किसी ना किसी बात पर अड़ जाते हैं लेकिन कुछ लोग इतने ज़िंदी होते हैं कि वो अपने परिस्थितियों से ही भिड़ जाते हैं. ऐसे लोगों ने कभी हार मानना नहीं सीखा. भले इन्हें दुनिया नहीं पहचानती लेकिन इनका जुनून इन्हें जानने वालों को हमेशा प्रेरित करता रहता है. विपरीत परिस्थितियों से लड़ रही महिलाओं के लिए ऐसी ही प्रेरणा हैं अंजु वर्मा.
पति की मौत के बाद घर चलाना हुआ मुश्किल
शाहजहांपुर की रहने वाली अंजु वर्मा के जीवन में सब ठीक चल रहा था लीकीन अचानक से कुछ ऐसा हुआ जिससे उनकी ज़िंदगी पूरी तरह से बदल गई. अपना घर और बच्चे संभाल रही ये गृहणी पति की मौत के बाद अंदर से टूट गई. सब लुट चुका था, सामने इनके बच्चे थे और उनकी परवरिश का जिम्मा. स्थिति ऐसी आ गई कि खाने-पीने की मुश्किलें तक होने लगीं. चार बच्चों की जिम्मेदारी लिए अंजु ने हारने की बजाए इन विपरीत परिस्थितियों से लड़ने का फैसला किया.
हार मानने की बजाए हालातों से लड़ीं
उन्होंने इन परिस्थितियों से लड़ने के लिए उसी हुनर को अपना हथियार बनाने का फैसला किया जिसमें गृहणियां माहिर होती हैं. उन्होंने कचौड़ी की दुकान लगाने का फैसला किया लेकिन दिक्कत ये थी कि दिन में बाजार भरा रहता था. उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि दुकान खोल सकें. ऐसे में उन्होंने सोचा क्यों न रात में कचौड़ी की दुकान लगाई जाए. उन्होंने अपनी सोच को सच में बदला और रात 10 बजे से लेकर सुबह 3 बजे तक दुकान लगाने लगीं. उन्होंनेजब ये काम शुरू किया तो उन्हें पगा कि लोग क्या सोचेंगे, पता नहीं काम चलेगा भी या नहीं. उन्हें यहां तक डर था कि जो पैसे उन्होंने इस काम में लगाए हैं वो भी वापस आएंगे या नहीं. लेकिन समय के साथ उनका काम बढ़ने लगा और उनका ये डर भी मिट गया.
रात 10 से सुबह 4 तक बेचती हैं कचौड़ी
एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार, आज के समय में अंजू वर्मा अपने इलाके में कचौड़ी वाली अम्मा के नाम से मशहूर हैं. उनकी दुकान रात 10 बजे से शुरू होती है और उनकी कचौड़ी का स्वाद चखने लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. उनकी ये दुकान सुबह 3 से 4 बजे तक चलती रहती है. अंजू वर्मा ने बताया कि पांच साल पहले उनके पति विनोद वर्मा की हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई. इसके बाद उनके सामने ये चुनौती थी कि वह घर कैसे चलाएं. उनके पति भी कचौड़ी बेचते थे, लेकिन उनकी मौत के बाद एक महीने तक काम बंद रहा. घर में जब दो वक्त के खाने पर भी संकट मंडराने लगा तब अंजू ने अपने पति के काम को अपना लक्ष्य बना लिया. अब जब बाजार में दुकानें बंद हो जाती हैं, तब अंजू कचौड़ी बेचना शुरू करती हैं.
इसी दुकान से चलता है घर
अंजू ने की तीन बेटियां हैं. उन्होंने इसी कचौड़ी बेचने वाले काम से अपनी एक बेटी की शादी की है. उनका सबसे छोटा बेटा 20 साल का है, जो कॉलेज में पढ़ाई करता है. अपनी दिनचर्या के बारे में अंजू ने बताया कि वह सुबह तीन-चार बजे तक दुकान बंद करती हैं. इसके बाद सोती हैं, लेकिन दिन में 2 बजे जाग जाती हैं. बाजार से सामग्री एकत्र करके फिर 10 बजे रात तक दुकान लगा देती हैं. अंजू की दुकान पर आलू का भर्ता भरकर बनाई गई कचौड़ी के साथ सोयाबीन- आलू की सब्जी और लहसुन की चटनी मिलती है. उन्होंने बताया कि वह 30 रुपये में चार कचौड़ी बेचती हैं, लेकिन कचौड़ी और सब्जी में वह अपने घर में ही बनाए गए मसालों का प्रयोग करती हैं.
अंजू वर्मा कहना है कि वह कचौड़ी बेच कर 2000 रुपए तक की कमाई कर लेती हैं. वह एक रात में 1500 से 2000 रुपए की बिक्री कर लेती हैं. एसपी एस आनंद ने बताया कि उन्हें इसकी जानकारी है. उन्होंने कहा कि हमने कोतवाली पुलिस को निर्देश दे रखे हैं कि पुलिस उनकी दुकान की पूरी सुरक्षा करे. उन्होंने कहा कि एक महिला रात में कचौड़ी की दुकान लगाए, यह अपने आप में बड़ी बात है.