खेल मंत्रालय ने नवनिर्वाचित भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित किया, पहलवान और संजय सिंह क्या बोले?
केंद्र सरकार के खेल मंत्रालय के नवनिर्वाचित भारतीय कुश्ती संघ को रविवार सुबह निलंबित करने की ख़बरें आ रही हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई और एएनआई के अनुसार, अगले आदेश तक यह निलंबन प्रभावी रहेगा.
समाचार एजेंसी एएनआई ने लिखा है, “नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय सिंह के अंडर-15 और अंडर-18 ट्रायल गोंडा के नंदिनी नगर में आयोजित कराने की घोषणा करने के बाद केंद्रीय खेल मंत्रालय ने कुश्ती महासंघ की नव-निर्वाचित कार्यकारिणी को निलंबित कर दिया है.”
अब तक मिली जानकरी के अनुसार, नए संघ के चुने जाने के बाद इसके लिए सभी फ़ैसलों को भी रद्द कर दिया गया है.
इस ख़बर के सामने आने के बाद संजय सिंह ने मीडिया से कहा, “मैं यात्रा कर रहा था. पहले मैं चिट्ठी पढ़ूंगा. उसके बाद ही कोई टिप्पणी करूंगा.”
सरकार के इस फ़ैसले के दो दिन पहले अपना पद्मश्री सम्मान सरकार को लौटाने वाले बजरंग पुनिया ने ख़ुशी जाहिर की है.
एक न्यूज़ चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, “जो भी ये फै़सला लिया गया है, ये बिलकुल ठीक फै़सला है. हमारी बहन बेटियों के साथ जो अत्याचार हुआ, जिन लोगों ने किया उन लोगों को फेडरेशन से हटाना चाहिए.”
वहीं कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट ने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा, “ये अच्छी ख़बर है. हम चाहेंगे कि इस पद पर कोई महिला आनी चाहिए ताकि ये संदेश जाए कि महिलाएं आगे बढ़ें. जो भी हो कोई अच्छा आदमी आना चाहिए.”
साक्षी मलिक ने उठाया था गोंडा में कैम्प कराए जाने का मसला
इससे पहले शनिवार को साक्षी मलिक ने एक ट्वीट करके डब्ल्यूएफआई के एक फ़ैसले पर आपत्ति दर्ज की थी.
शनिवार की शाम उन्होंने सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर लिखा था, “मैंने कुश्ती छोड़ दी है, पर कल रात से परेशान हूँ. वे जूनियर महिला पहलवान क्या करें जो मुझे फ़ोन करके बता रही हैं कि दीदी इस 28 तारीख़ से जूनियर नेशनल होने हैं और वो नए कुश्ती फेडरेशन ने नंदनी नगर, गोंडा में करवाने का फ़ैसला लिया है.”
अपनी आपत्ति का कारण समझाते हुए उन्होंने लिखा था, “गोंडा बृजभूषण का इलाक़ा है. अब आप सोचिए कि जूनियर महिला पहलवान किस माहौल में कुश्ती लड़ने वहाँ जाएँगी. क्या इस देश में नंदनी नगर के अलावा कहीं पर भी नेशनल करवाने की जगह नहीं है क्या? समझ नहीं आ रहा कि क्या करूँ.”
क्या है पूरा मामला?
गुरुवार 21 दिसंबर को भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनावों का नतीजा आया जिसमें महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी नेता बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह महासंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए.
अध्यक्ष चुने जाने के बाद संजय सिंह चुनावों को लेकर राजनीति की तरफ इशारा करते हुए कहा, “जिनको कुश्ती करनी है वो कुश्ती कर रहे हैं, जो राजनीति करना चाहते हैं वे राजनीति करें…”
इसे लेकर पहलवानों मे आपत्ति जताई. नतीजे आने के बाद साक्षी मलिक ने एक ट्वीट कर “कुश्ती को अलविदा” कहा.
साक्षी मलिक ने कहा, “प्रेसीडेंट बृजभूषण जैसा आदमी ही रहता है, जो उसका सहयोगी है, उसका बिजनेस पार्टनर है. वो अगर इस फेडरेशन में रहेगा तो मैं अपनी कुश्ती को त्यागती हूं. मैं आज के बाद आपको कभी भी वहां नहीं दिखूंगी.”
साक्षी ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान अपने जूते टेबल पर छोड़ दिए थे, ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी शेयर की गईं.
उनके संवाददाता सम्मेलन में बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट भी मौजूद थे.
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इसके कुछ देर बाद खिलाड़ी बजरंग पूनिया ने पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का एलान किया. उन्हें साल 2019 में पद्मश्री से नवाज़ा गया था.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक ख़त पोस्ट किया और लिखा कि “कुश्ती महासंघ के चुनाव में एक बार फिर बृजभूषण सिंह का कब्ज़ा हो गया है, जबकि गृहमंत्री ने आश्वासन दिया था कि वह बृजभूषण और उनके करीबियों को बाहर कर देंगे.”
उन्होंने लिखा, “चुनाव के नतीजों के बाद बृज भूषण सिंह ने बयान दिया कि दबदबा है और दबदबा रहेगा. इससे दबाव में आकर एकमात्र ओलंपिक विजेता महिला पहलवान साक्षी ने संन्यास ले लिया.”
डेफ़ ओलिम्पिक्स के गोल्ड मेडलिस्ट पहलवान वीरेंद्र सिंह ने भी महिला पहलवानों के समर्थन में उन्हें मिला पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का ऐलान किया.
गूंगा पहलवान नाम से जाने जाने वाले वीरेंद्र सिंह ने कहा, “मैं भी अपनी बहन और देश की बेटी के लिए पद्मश्री लौटा दूँगा, माननीय प्रधानमंत्री जी, मुझे गर्व है आपकी बेटी और अपनी बहन साक्षी मलिक पर.”
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महिला पहलवानों का विरोध प्रदर्शन
इस पूरे मामले की इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई थी जब 18,जनवरी 2023 को, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया समेत कई और पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचे थे. उन्होंने बृजभूषण शरण सिंह पर कई गंभीर लगाए.
ये विरोध प्रदर्शन कई हफ़्तों तक चलता रहा. जिसके बाद खेल मंत्रालय हरकत में आया.
मंत्रालय ने कुश्ती संघ से 72 घंटे के अंदर आरोपों पर जवाब देने के लिए नोटिस भेजा. इसके जवाब में महासंघ ने अपनी जवाबी चिट्ठी में पहलवानों के आरोपों को ख़ारिज किया और कहा कि उनके पास यौन उत्पीड़न का एक भी आरोप नहीं आया है.
खिलाड़ियों ने बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ शिकायत दी लेकिन उनकी एफआईआर दर्ज नहीं की गई.
खिलाड़ियों के सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने इस मामले में बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ दो एफ़आईआर दर्ज कर ली है.
इस बीच मई के आख़िर में खिलाड़ी अपने मेडल हाथों में लिए गंगा में बहाने के लिए हर की पौड़ी पहुंचे. हालांकि किसान नेता नरेश टिकैत से बातचीत के बाद उन्होंने अपना ये फ़ैसला टाल दिया.
इसके बाद खिलाड़ी इस बात पर अड़ गए कि जब तक बृजभूषण इस्तीफ़ा नहीं दे देते और उनकी गिरफ़्तारी नहीं हो जाती उनका धरना जारी रहेगा.
अप्रैल में शुरू हुआ धरना क़रीब एख महीने चला जिस दौरान पहलवानों के मंच पर विपक्ष के कई नेता पहुंचे.
एक महीने बाद 28 मई को धरना दे रहे पहलवानों को जंतर-मंतर से जबरन हटाकर ये प्रदर्शन ख़त्म कर दिया गया.
विवाद में अनुराग ठाकुर की एंट्री
रविवार को जिस दिन नई संसद की इमारत का उद्घाटन हो रहा था, कुछ उसी वक्त धरना स्थल से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर प्रधानमंत्री मोदी नवनिर्मित संसद भवन का उद्घाटन कर रहे थे.
नेताओं से लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने इसकी आलोचना की. पहलवानों के समर्थन में कई किसान संगठन और खाप पंचायतें उतरीं और उन्होंने विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया.
बाद में सात जून को पहलवानों ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाक़ात की. छह घंटे लंबी चली बातचीत के बाद अनुराग ठाकुर ने कहा कि बीजेपी सांसद और कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ जारी जांच 15 जून तक पूरा कर ली जाएगी.
खिलाड़ियों की मांग थी कि मामले में 15 जून तक उनकी जांच पूरी कर चार्जशीट दाखिल करने की मांग थी साथ ही एक मांग ये थी कि निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और उनसे जुड़े लोग चुनकर महासंघ में न आएं.
खिलाड़ियों की एक मांग ये भी थी कि किसी महिला को कुश्ती महासंघ का अध्यक्ष बनाया जाए.