प्रदेश की यूनिवर्सिटी (HPU), कॉलेज और स्कूल में पढ़ने वाले लाखों विद्यार्थियों की डिग्री मार्कशीट अब डिजिटल लॉकर (Digital Locker) में सुरक्षित रहेगी। यूजीसी के निर्देशों के बाद अब उच्च शिक्षा विभाग ने भी इस बारे में प्रदेश की यूनिवर्सिटी सहित सभी स्कूलों को आदेश जारी किए हैं कि नए सत्र से छात्रों की सुविधा के लिए इस व्यवस्था को शुरू करें। इसके लिए यूजीसी (UGC) ने नेशनल एजुकेशन डिपॉजिटोरी (National Education Depository) यानी एनएडी के साथ एमओयू (MoU) साइन किया है, जो सभी शिक्षण संस्थानों को इसमें जोड़ा जा रहा है।
इसके लिए किसी भी तरह का कोई चार्ज भी नहीं लिया जा रहा। इसमें एससी वर्ग को मिलने वाली छात्रवृत्ति के लिए उनका इनकम सर्टिफिकेट एजुकेशनल सर्टिफिकेट, मार्कशीट सबसे पहले आधार से लिंक होना चाहिए, उसके बाद उन्हें डीजी लॉकर में अपलोड करना होगा, ताकि एनएसपी पोर्टल पर उन्हें अपलोड किया जा सके। न केवल केंद्रीय प्रायोजित बल्कि राज्य सरकार से मिलने वाली छात्रवृत्ति के लिए भी अब यह शर्त लागू कर दी गई है। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ अमरजीत शर्मा ने कहा है कि शिक्षण संस्थान इस डिजिटल लॉकर व्यवस्था के लिए प्रक्रिया शुरू करें।
शिक्षण संस्थानों को इसमें पोर्टल पर खुद को सबसे पहले रजिस्टर करना होगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इन डॉक्यूमेंट की वेरिफिकेशन आसानी से हो सकेगी। विद्यार्थी को भी ओरिजनल डॉक्यूमेंट लेकर यहां-वहां आना-जाना नहीं पड़ेगा। वह अपने डिजिटल लॉकर नंबर से इसे वेरिफाई करा सकेगा। इसके साथ ही बार-बार डॉक्यूमेंट्स के खोने का खतरा भी नहीं रहेगा।
आधार से लिंक होने पर आएगा पूरा डाटा… छात्र अपने डिजिटल लॉकर को आधार से लिंक करेंगे। इसके बाद उनके हाई स्कूल, इंटर की मार्कशीट, सर्टिफिकेट आदि भी इस डिजिटल लॉकर में आ जाएंगे। छात्र चाहेंगे तो अपने अन्य डाटा भी इसमें सुरक्षित रख सकेंगे।
क्या है डिजिलॉकर… डिजिलॉकर यानी डिजिटल लॉकर भारत सरकार की ओर से संचालित है। यह एक तरह से इलेक्ट्रॉनिक तिजोरी की तरह है, जिसमें कोई भी अपने शैक्षणिक प्रमाण-पत्र कोई भी दस्तावेज सुरक्षित कर सकता है। आधार नंबर से लिंक डिजिलॉकर में ड्राइविंग लाइसेंस का नंबर डालने के बाद सभी प्रमाण पत्र की डिटेल सामने आ जाती है, जो आईटी एक्ट के तहत पूरी तरह से वैध प्रमाण पत्र है।