सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायकों की अयोग्यता से संबंधित मामले में 15 फरवरी तक अंतिम आदेश पारित करने को कहा. इससे पहले शीर्ष अदालत ने स्पीकर को मामले पर फैसला करने के लिए 31 जनवरी की समय सीमा तय की थी.
स्पीकर का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष कहा कि स्पीकर शिवसेना के मतभेद पर दायर अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में व्यस्त थे. मेहता ने कहा कि स्पीकर अदालत की समय सीमा का पालन करने की स्थिति में नहीं हैं.
इस बात पर जोर दिया कि उन्हें आदेश सुनाने के लिए तीन और सप्ताह चाहिए. दलीलों को सुनने के बाद पीठ ने समय 15 फरवरी, 2024 तक बढ़ा दिया. पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को 31 जनवरी, 2024 तक संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया था.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शरद पवार गुट ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अजीत पवार के नेतृत्व वाले बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली उनकी याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की. यह मुद्दा तब उठा जब अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल के नेतृत्व में विधायकों ने राकांपा सुप्रीमो शरद पवार से नाता तोड़ लिया और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में भाजपा और शिवसेना विधायकों से हाथ मिला लिया.